नई दिल्लीः मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जिला अदालत (District Court) के एक पूर्व जज की अपील पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि एक न्यायाधीश ‘‘एक जूनियर अधिकारी को आपत्तिजनक और अनुचित संदेश भेजना और उसके साथ छेड़खानी किसी भी सूरत स्वीकार्य नहीं है।’’
उस जज की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये सख्त टिप्पणी की जिसमें यौन उत्पीड़न के आरोपी जज ने अपने खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से की जा रही अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती दी थी।
याचिका और कोर्ट में हुई सुनवाई के मुताबिक जिला जज अपनी जूनियर महिला अधिकारी को न सिर्फ फ्लर्ट कर रहे थे बल्कि उन्हें वॉट्सएप पर अपत्तिजनक मैसेज भी भेज रहे थे।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, ‘‘एक जूनियर अधिकारी के साथ फ्लर्ट करना एक न्यायाधीश के लिए स्वीकार्य आचरण नहीं है।’’
याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमणियम ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के तहत अपनी शिकायत वापस ले ली है और इसलिए, उच्च न्यायालय द्वारा स्थापित अनुशासनात्मक कार्यवाही संभव नहीं है।
पीठ में एसए बोबडे के अलावा जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन शामिल हैं, ने कहा कि महिला ने ‘शर्मिंदगी के कारण’ शिकायत को वापस ले लिया है, लेकिन इससे आरोपी का अपराध कम नहीं हो जाता है। हाईकोर्ट को विभागीय स्तर पर जांच कर एक्शन लेने से रोकना उचित नहीं है। ये उसका अधिकार है। ये अलग बात है कि विभागीय जांच के दौरान पीड़िता ने कमेटी के सामने आने से इंकार कर दिया है।
शीर्ष अदालत ने मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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