
नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसने पिछले महीने 600 सिख तीर्थयात्रियों के एक जत्थे को 1920 ननकाना साहिब नरसंहार की 100वीं वर्षगांठ के लिए पाकिस्तान जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। क्योंकि यह दोनों देशों के बीच 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत धार्मिक तीर्थस्थलों की यात्रा के तहत कवर नहीं किया गया था। इससे पहले सुरक्षा चिंताओं और पाकिस्तान जाने वाले भारतीयों के लिए खतरे का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने 17 फरवरी को यात्रा के लिए अनुमति देने इनकार कर दिया था।
ज्ञात हो कि फरवरी, 1920 में लगभग 200 लोग ब्रिटिश समर्थित महंतों से गुरुद्वारों पर नियंत्रण पाने के लिए आंदोलन के दौरान सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव के जन्म स्थान ननकाना साहिब में मारे गए थे।
मंत्रालय ने कहा, प्रोटोकॉल के तहत, सिख जत्थे चार अवसरों पर सालाना पाकिस्तान जाते हैं – बैसाखी, गुरु अर्जन देव जी का शहादत दिवस, महाराजा रणजीत सिंह जी की बरसी और गुरु नानक देव जी की जयंती। इसमें कहा गया है कि इन मौकों पर अतीत में कोई भी जत्था पाकिस्तान नहीं गया है।
मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी पाकिस्तान में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या को दोहराया। यात्रा के लिए अनुमति से इनकार में यह भी एक कारण शामिल था।
रेड्डी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में कोविड-19 के मामलों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए, वहां पर सुरक्षा और खतरा को ध्यान में रखते हुए, यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक और कोविड के कारण सीमा पार जाने की अनुमति उक्त जत्थे को नहीं दी गई।
कांग्रेस सदस्य जसबीर सिंह गिल के इस सवाल के जवाब में कि नवंबर में पाकिस्तान यात्रा करने की अंतिम जत्थे को अनुमति क्यों दी गई थी जब महामारी अपने चरम पर थी। रेड्डी ने कहा, ‘‘28 नवंबर, 2020 से 1 दिसंबर, 2020 तक, सिख तीर्थयात्रियों के एक जत्थे ने श्री गुरु नानक देव जी की 551वीं जयंती पर नानकाना साहिब का दौरा किया। यात्रा को 1974 द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत अनुमति दी गई थी। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित थी।
सिख धार्मिक संगठनों और राजनेताओं ने केंद्र की यात्रा अनुमति से इनकार की निंदा की है। पिछले महीने एक वीडियो संदेश में, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘‘भारत सरकार पाकिस्तान में मुख्य कार्यक्रम में भाग लेने की सिख जत्थे की अनुमति से इनकार करने में बेहद गलत है।’’
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)


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