नई दिल्लीः शनिवार को छत्तीसगढ़ में बस्तर के बीजापुर में नक्सलियों से हुई घातक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के 22 जवान शहीद हो गये और कई लापता हैं। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के 31 जवान घायल हुए है, जिनका ईलाज जिला अस्पताल में किया जा रहा है। बता दें कि सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि सुकमा-बीजापुर सीमा पर जोनागुड़ा की पहाड़ियों पर नक्सलियों का जमावड़ा है। इसके लिए शुक्रवार को सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो और स्पेशल टास्क फोर्स के 200 जवानों ने एक संयुक्त अभियान शुरू किया। नक्सलियों ने इनमें से 700 जवानों को घेरकर तीन तरफ से फायरिंग की, हमले में 8 जवानों के शहीद होने की पुष्टि हुई है। हालांकि, घटनास्थल का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें 20 जवानों के शव दिखाई दे रहे हैं ओर रेस्क्यू टीम भी वहां नहीं पहुंच सकी है। मिली जानकारी के अनुसार, इस हमले में कम से कम 22 जवान शहीद हुए हैं और 31 घायल हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक, हालात का जायजा लेने के लिए महानिदेशक, सीआरपीएफ, कुलदीप सिंह आज सुबह छत्तीसगढ़ पहुंचे। अधिकारियों ने कहा कि कुल 24 घायल जवानों को बीजापुर अस्पताल लाया गया। कम से कम सात को इलाज के लिए रायपुर के एक अस्पताल में भेजा गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में सुरक्षाकर्मियों की मौत पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘‘हम शांति और प्रगति के इन दुश्मनों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।’’ शाह ने माओवादियों का जिक्र करते हुए कहा, जिन्होंने तारेम में जवानों पर हमला किया था। अमित शाह ने रविवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी इस संबंध में बात की।
इससे पहले शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने घायल जवानों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की थी। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ में माओवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए जवानों के साथ मेरी संवेदना है।’’
पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर) पी। सुंदरराज ने कहा कि तीन घंटे तक चली सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में कम से कम नौ नक्सली मारे गए। मरने वालों में एक महिला माओवादी भी थी। हालांकि, सुरक्षाबलों का अनुमान है कि मुठभेड़ में 15 से अधिक माओवादी मारे गए हैं।
रविवार सुबह जगदलपुर में बल के शिविर में कार्रवाई की कतार में मारे गए सीआरपीएफ जवानों को श्रद्धांजलि दी गई।
छत्तीसगढ़ में क्या हुआ
छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर सीमा पर सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच शनिवार को एक मुठभेड़ हुई, जब जवानों की एक पार्टी ने दोपहर के आसपास जोनागुडा गांव के पास माओवादियों द्वारा घात लगाकर हमला किया। वन क्षेत्र के दो किमी लंबे खंड में सेनाएं बिखरी और फंसी हुई थीं। अधिकारियों ने पुष्टि की कि मुठभेड़ स्थल सुरक्षा बलों के तर्रेम शिविर से मुश्किल से 15 किमी दूर था।
घात 2010 में ताड़मेटला में नक्सलियों द्वारा और 2020 में मीनपा के समान था। माओवादी पीएलजीए बटालियन का नेतृत्व उसके कमांडर हिडमा ने किया था। लगभग 250 की कुल ताकत के साथ, नक्सलियों के इस समूह को पैमेड, कोंटा, जगरगुंडा और बासागुड़ा क्षेत्र समितियों के माओवादी प्लेटो से जुड़े विद्रोहियों द्वारा सहायता प्राप्त थी।
सूत्रों ने बताया कि बीजापुर-सुकमा सीमा पर माओवादियों की मौजूदगी को लेकर खुफिया एजेंसियों ने अधिकारियों को अलर्ट कर दिया था।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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