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असम का प्रख्यात टीलिंगा मंदिर, जहाँ जाने से मुरादें होती हैं पूरी!

लखीमपुरः असम के तिनसुकिया शहर से 15 किलोमीटर दूर बरडूबी में एक शिव मंदिर है। मंदिर का कोई विशाल भवन नहीं है और यह देखने में बहुत ही छोटा है। एक वृक्ष की जड़ के पास छोटा शिवलिंग है पर इसका महत्व बहुत अधिक है। शहर के शोर-गुल से दूर शांत वातावरण में स्थित यह […]

लखीमपुरः असम के तिनसुकिया शहर से 15 किलोमीटर दूर बरडूबी में एक शिव मंदिर है। मंदिर का कोई विशाल भवन नहीं है और यह देखने में बहुत ही छोटा है। एक वृक्ष की जड़ के पास छोटा शिवलिंग है पर इसका महत्व बहुत अधिक है। शहर के शोर-गुल से दूर शांत वातावरण में स्थित यह मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर के प्रांगण में समवेत होने वाले श्रद्धालु भक्तों द्वारा घंटी बाँधने की परम्परा है। मंदिर के आसपास लटकती हुई हजारों घंटियों के चलते यह मंदिर टीलिंगा मंदिर (घंटी को असमिया में टीलिंगा कहते हैं) के नाम से विख्यात है। 

प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में लोग यहाँ जाते है और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए अपनी इच्छा का स्मरण कर या यूँ कहिये मन्नत मांगते हुए एक घंटी बाँध देते है। जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो दुबारा जाकर एक घंटी और बांधते है। एक समय ऐसा आता है कि मंदिर के आसपास की जगहें घंटियों से भर जाती है और बाँधने की जगह नहीं होती है। उस समय उनमे से कुछ घंटियों को खोलकर मंदिर परिसर में ही एक तरफ रख दिया  जाता है। परिसर में लाखों की संख्या में घंटियाँ देखी जा सकती हैं, जिन्हें खोलकर मंदिर परिसर में रखा गया है। इन घंटियों को देखकर इस बात की पुष्टि हो जाती है कि यहाँ आनेवालों की मुराद पूरी होती है।

सत्तर के दशक में निर्मित इस मंदिर में असम के अलावा अन्य विभिन्न स्थानों से प्रतिदिन सैकड़ों भक्तों का यहाँ समागम होता है। इसलिए यह तिनसुकिया जिले का पर्यटन स्थल बन गया है। मंदिर में दर्शन के लिए आनेवाले लोगों के लिए मंदिर के आसपास के मनोरम अंचल को देखने की सुविधा उपलब्ध है। इस मंदिर के आसपास रुक्मिणी द्वीप, दिहिंग पाटकाई अभयारन्य, आई थान (दुर्गा मंदिर) आदि के साथ-साथ चाय बागान के मनोहारी दृश्य का अवलोकन किया जा सकता है। मंदिर के निकटतम हवाई अड्डा डिब्रुगढ़ है और रेलवे स्टेशन तिनसुकिया है। असम के विभिन्न स्थानों से टीलिंगा मंदिर के लिए पथसेवा भी उपलब्ध है।

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