उत्तर प्रदेश

Uttar Pradesh: बाढ़ के बेहतर प्रबंधन की मिसाल बना यूपी

लखनऊ: बीते साल 23 अक्टूबर को अपने आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार शीघ्र ही बाढ़ की समस्या का स्थाई हल निकालेगी। इस बाबत कार्ययोजना तैयार हो रही है। जब तक ऐसा नहीं होता तब तक बाढ़ से सुरक्षा के लिए सभी संवेदनशील जगहों पर समय से […]

लखनऊ: बीते साल 23 अक्टूबर को अपने आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार शीघ्र ही बाढ़ की समस्या का स्थाई हल निकालेगी। इस बाबत कार्ययोजना तैयार हो रही है। जब तक ऐसा नहीं होता तब तक बाढ़ से सुरक्षा के लिए सभी संवेदनशील जगहों पर समय से मानक के अनुसार काम होगा। यह हो भी रहा है। यही वजह है कि हिमालय से लगे तराई के इलाके में मानसून के पिछले सीजन में औसत से दो-तीन गुना बारिश होने के बावजूद कहीं भी बाढ़ के कारण गंभीर समस्या नहीं उत्पन्न हुई।अलबत्ता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश में बाढ़ सुरक्षा के संबंध में किए गए बेहतर प्रबंधन की वजह से उनके कार्यकाल में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और प्रभावित होने वाले कृषि क्षेत्र का रकबा लगातार घटता गया। मसलन 2013 में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और कृषि क्षेत्र का रकबा क्रमशः 2336992 और 1541373 हेक्टेयर था। 2020 में यह घटकर क्रमशः146953 और 6886 हेक्टेयर रह गया। 2020 में कृषि क्षेत्र का प्रभावित रकबा सीधे बाढ़ से नहीं बल्कि कटान से प्रभावित रहा। खुद में यह बाढ़ के प्रबंधन की मिसाल है।

यह यूं ही नहीं हो गया। बाढ़ के लिहाज से प्रदेश की संवेदनशीलता के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने पिछले सरकारों की तुलना में बाढ़ से जुड़ी परियोजनाओं का न केवल लक्ष्य बढ़ाया बल्कि इसी अनुसार बजट भी। यूं तो बाढ़ के प्रभावी नियंत्रण की कार्ययोजना 2017 में उनके मुख्यमंत्री बनने के साथ ही शुरू हो गई थी, पर कोरोना के इस अभूतपूर्व संकट के दौरान भी उनके निर्देश में बाढ़ के रोकथाम के लिए अनुरक्षण के काम लगातार जारी रहे। आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।

परियोजनाओं की संख्या के साथ बजट में कई गुना वृद्धि

सपा सरकार ने 2014 से 2017 तक के तीन साल के कार्यकाल के दौरान बाढ़ संबंधित कुल 265 परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 2019/20 से 2021/22 तक इस लक्ष्य को बढ़ाकर 536 कर दिया। इसी तरह बजट व्यवस्था में भी वृद्धि की गई। 2014 से 2017 के दौरान सपा सरकार ने बजट में इस काम के लिए ₹ 382 करोड़ की व्यवस्था की। मौजूदा सरकार के 2019/20 से 2021/22 के कार्यकाल में इसे बढ़ाकर ₹ 1058.56 करोड़ कर दिया गया। इन सबका नतीजा सामने है।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलो में से 45 बाढ़ के लिहाज संवेदनशील हैं। इसमें से 24 अति संवेदनशील, 16 संवेदनशील और पांच सामान्य हैं। तराई का पूरा इलाका, खासकर पूर्वांचल बाढ़ के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। हर साल बारिश ( 15 जून से 15 अक्टूबर) के मौसम में नेपाल की पहाड़ियों से निकलने वाली गंडक, रोहिन, राप्ती, शारदा, सरयू/घाघरा आदि नदियां सामान्य बारिश होने पर भी खतरे के निशान को पार करती हैं। जिसकी वजह से जन-धन की भारी हानि होती है। लाखों लोग अपना घर-बार छोड़कर परिवार और मवेशियों के साथ बंधो या अन्य सुरक्षित जगहों पर ठिकाना बनाते हैं।

पिछले सीजन में औसत से अधिक बारिश के बाद भी नहीं आई बाढ़

मानसून के पिछले सीजन में ऐसा पहली बार हुआ जब पूर्वांचल के अधिकांश जिलों में औसत से दो से तीन गुना अधिक बारिश के बावजूद बाढ़ नहीं आई। यह सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समयपूर्व बाढ़ सुरक्षा के बेहतर प्रबंधन से हो सका है। इस साल भी मानसून का सीजन शुरू हो चुका है। मौसम विभाग झमाझम बारिश का पूर्वानुमान जता चुका है। इसी अनुसार इस साल भी योगी सरकार ने बाढ़ से सुरक्षा के मुकम्मल इंतजाम किए हैं। पूरी पारदर्शिता के साथ समय से पहले मानक के अनुसार किए इन्ही कार्यों के नाते मौजूदा सरकार के कार्यकाल में बाढ़ का रकबा साल दर साल घटता गया। मसलन 2013 में प्रदेश का कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 2336992 हेक्टेयर रहा। प्रभावित कुल कृषि योग्य भूमि 1541373 हेक्टेयर रही। 2020 में कुल प्रभावित रकबा और कृषि भूमि रही क्रमशः 146953 और 6886 हेक्टेयर। इसमें भी कृषि भूमि सीधे बाढ़ से नहीं कटान से प्रभावित रही।

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