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जोनाई के राजाखाना पोखरी को संरक्षित करने और पर्यटन केन्द्र बनाने की मांग

जोनाईः असम के धेमाजी जिला के जोनाई महकमा के राजाखना गांव पंचायत अधीन  एतिहासिक पोखरा का आज नामोनिशान मिट गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राजा आरीमत द्वारा खुदवाये गये करीब 400 मीटर चैड़े और 500 मीटर लंबे पोखरा को संरक्षित करने की मांग गांव के लोगो ने की है। यह ऐतिहासिक राजाखना […]

जोनाईः असम के धेमाजी जिला के जोनाई महकमा के राजाखना गांव पंचायत अधीन  एतिहासिक पोखरा का आज नामोनिशान मिट गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राजा आरीमत द्वारा खुदवाये गये करीब 400 मीटर चैड़े और 500 मीटर लंबे पोखरा को संरक्षित करने की मांग गांव के लोगो ने की है। यह ऐतिहासिक राजाखना पोखरी जोनाई महकमा से करीब 8 किलोमीटर दूर तथा उत्तर पूर्व सीमा रेलवे की लाईन से करीब एक किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित है।

स्थानीय लोगो का कहना हैं कि इस पोखरी के चारो तरफ आज ही मध्य युग के ईंट तथा बड़े-बड़े पत्थरों पर मनुष्य तथा विभिन्न पशु-पक्षियों कि की गई कलाकारी के चिन्ह सहित बहुत ही मूल्यवान वस्तुएं जमीन में दफन हैं। आज भी उक्त पोखरा के तट कहीं-कहीं करीब दस-पंद्रह मीटर उँचे हैं।

वहीं गांव के लोगो का कहना हैं कि 1950 में आये प्रलंयकारी भुकंप के कारण यहां बनाये गये बड़े-बड़े भवन जमीन में धंस गये। यह अंचल दशकों पूर्व डरावने जंगल के रुप में प्रसिद्ध था, मगर यहां पर 1956 से लोग धीरे-धीरे बसने लगे और शुरुआत में उस दौरान यहां हाथी पकडने का काम किया जाता था। 

स्थानीय लोगो का कहना है कि 1982 में पड़ोसी राज्य अरुणाचल से तीव्र गति से आये पानी की लहरों ने उक्त पोखरा के दोनों किनारे तोड़कर एक छोटी नदी के रुप में बहने लगा। जिस नदी को लोग राजाखना नदी के नाम से जानते हैं, जो आज भी नदी के रुप में बहती हैं। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि पुराने समय में 400 मीटर चैड़ा और 500 मीटर लंबा पोखरा की खुदाई करवाना किसी सधारण मनुष्य का काम नही है। 

इसलिये सरकार उक्त पोखरा को संरक्षित कर इस स्थान को पर्यटन केन्द्र बनाये और जमीन की खुदाई करवाकर यहां पर छिपे रहस्यों से पर्दा उठाये, ऐसा अनुरोध स्थानीय लोगों ने किया है।

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