नई दिल्लीः हर साल 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस या अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह दिन बाघों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है जो एक लुप्तप्राय प्रजाति हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुसार, पिछली सदी में बाघों की आबादी में 95 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसमें वन्यजीवों की तस्करी और जंगलों का खत्म होना शामिल हैं।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी वन्यजीव प्रेमियों को बधाई दी है, खासतौर से उन लोगों को जो बाघों के संरक्षण के लिये बहुत सचेत हैं।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, #InternationalTigerDay पर वन्यजीव प्रेमियों को बधाई, खासतौर से उन लोगों को जो बाघों के संरक्षण के लिये बहुत सचेत हैं। दुनिया भर में जितने बाघ हैं, उनमें से 70 प्रतिशत बाघों का घर भारत है। हम एक बार फिर यह प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं कि हम अपने बाघों के लिये सुरक्षित प्राकृतिक वास सुनिश्चित करेंगे और बाघों के अनुकूल इको-सिस्टम को बढ़ावा देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में बाघों के 51 अभ्यारण्य हैं, जो 18 राज्यों में फैले हैं। बाघों की पिछली गणना 2018 में हुई थी, जिससे पता चला था कि बाघों की संख्या बढ़ रही है। बाघों के संरक्षण के मामले में सेंट पीटर्सबर्ग घोषणापत्र में जो समय सीमा तय की गई है, उसे मद्देनजर रखते हुये भारत ने बाघों की तादाद दुगनी करने का लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया है।’’
पीएम ने कहा, ‘‘बाघों के संरक्षण के सिलसिले में भारत की रणनीति में स्थानीय समुदायों को सबसे ज्यादा अहमियत दी जा रही है। हम अपनी सदियों पुरानी परंपरा का भी पालन कर रहे हैं, जो हमें सिखाती है कि हमें जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों के संग समरसता के साथ रहना चाहिये, क्योंकि ये सब भी इस धरती पर हमारे साथ ही रहते हैं।”
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस इतिहास
इस दिवस की स्थापना 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में की गई थी। भारत, रूस, चीन सहित 13 टाइगर रेंज वाले देशों ने इस दिन हाथ मिलाया और घोषणा की कि वे 2022 तक अपनी सीमा में जंगली बाघों की संख्या को दोगुना कर देंगे, जो कि टाइगर का चीनी वर्ष है।
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर बताता है कि इस परियोजना को ज्ग्2 कहा जाता है। देशों ने हर साल 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस मनाकर बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने का भी संकल्प लिया।
बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा में कई कदम प्रस्तावित किए गए थे जिसे भाग लेने वाले देशों द्वारा अपनाया गया था। अब तक, इसे किसी भी प्रजाति के लिए सबसे महत्वाकांक्षी संरक्षण लक्ष्य माना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का महत्व
आज दुनिया में 4,000 से भी कम बाघ हैं। 2010 में उनकी संख्या 100,000 से घटकर लगभग 3200 हो गई, हालाँकि अब यह धीरे-धीरे बढ़ रही है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों के संरक्षण को बढ़ावा देता है। जब बाघ पारिस्थितिक तंत्र में पनपते हैं तो यह संकेत देता है कि उनका पारिस्थितिकी तंत्र भी फल-फूल रहा है।
हालांकि, WWF के नवीनतम अपडेट में कहा गया है कि बाघ रेंज वाले देशों में बाघों की संख्या 2010 की तुलना में कम होगी।
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