छत्तीसगढ़

समैय्या चापड़ी ने मिनी राईस को बनाया स्वरोजगार का आधार

बीजापुर : जिले के दूरस्थ उसूर ब्लाक अंतर्गत मुरदण्डा निवासी किसान समैय्या चापड़ी बीते एक वर्ष पहले तक अपने करीब 5 एकड़ कृषि भूमि  में  धान एवं दलहन की खेती कर 6 सदस्यीय परिवार का भरण-पोषण करते थे। इस बीच विगत वर्ष मई 2020 में कृषि विभाग के मैदानी अमले द्वारा धान, गेहूं एवं रागी […]

बीजापुर : जिले के दूरस्थ उसूर ब्लाक अंतर्गत मुरदण्डा निवासी किसान समैय्या चापड़ी बीते एक वर्ष पहले तक अपने करीब 5 एकड़ कृषि भूमि  में  धान एवं दलहन की खेती कर 6 सदस्यीय परिवार का भरण-पोषण करते थे। इस बीच विगत वर्ष मई 2020 में कृषि विभाग के मैदानी अमले द्वारा धान, गेहूं एवं रागी प्रसंस्करण हेतु मिनी राईस मिल स्थापित करने परामर्श देने सहित इस हेतु जिला खनिज न्यास निधि से सहायता देने की जानकारी दी गयी। समैय्या चापड़ी ने इस बारे में घर-परिवार के सदस्यों से विचार कर स्वरोजगार स्थापित करने की सोची और अपना आवेदन कृषि विभाग में जमा किया। 

समैय्या चापड़ी बताते हैं कि उन्हे जुलाई 2020 में उक्त मिनी राईस मिल प्रदान करने सहित मिनी राईस मिल संचालन के बारे में प्रशिक्षण भी दिया गया। जिसे अपने घर में ही स्थापित किया है। चूंकि उक्त मिनी राईस मिल घरेलू बिजली कनेक्शन से चलती है। इसलिए अतिरिक्त बिजली कनेक्शन की जरूरत नहीं पड़ी। समैय्या चापड़ी अपने मिनी राईस मिल में मुरदण्डा क्षेत्र के ग्रामीणों का धान मिलिंग करने सहित गेहूं एवं रागी की पिसाई का कार्य करते हैं। जिससे क्षेत्र के ग्रामीणों को आवापल्ली तक आना जाना नहीं पड़ता और स्थानीय स्तर पर गांव में ही यह सहूलियत मिल रही है। 

समैय्या चापड़ी ने बताया कि वह हर दिन धान मिलिंग एवं गेहूं-रागी, ज्वार की पिसाई कार्य के जरिये 300 से 400 रूपए आमदनी अर्जित करते हैं। अपनी खेती-किसानी के पेशे के साथ मिनी राईस मिल संचालन गतिविधि से अपने 6 सदस्यीय परिवार का बेहतर ढंग से भरण-पोषण कर रहे हैं। अपनी आर्थिक स्थिति की सुधार से समैय्या ने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान केन्द्रीत किया है। वे बताते हैं कि बड़ा पुत्र दिलीप रायपुर में बीते दो वर्ष से फार्मेसी की पढ़ाई कर रहा है। वहीं मंझली पुत्री तनुजा कोंटा में आईटीआई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है, तो छोटी बेटी काविनी बीजापुर में 12वीं कक्षा में अध्ययनरत है। 

अभी खरीफ फसल की बुआई में व्यस्त समैय्या चापड़ी बताते हैं कि इस साल करीब 4 एकड़ रकबा में धान की फसल लगाया है। वहीं शासन की धान के बदले अन्य लाभकारी फसल लेने के प्रोत्साहन के फलस्वरूप एक एकड़ में मूंग की पैदावार लेंगे। इसके साथ ही घर बाड़ी में साग-सब्जी की खेती करने की बात कही। समैय्या चापड़ी स्वरोजगार स्थापना के लिए शासन की सहायता के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहते हैं कि यह निर्धन ग्रामीण परिवार को खुशहाली की ओर अग्रसर करने अच्छा प्रयास है। 

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