नई दिल्लीः अगस्त, 2021 के अंतिम सप्ताह में पिथौरागढ़ जिले के दूर-दराज के धारचूला कस्बे को अभूतपूर्व बारिश का सामना करना पड़ा। भारी बारिश के साथ आकस्मिक बाढ़ के हालात भी पैदा हो गये। सबसे ज्यादा नुकसान 30 अगस्त, 2021 को हुआ, जब आकस्मिक बाढ़ और बादल फटने से पिथौरागढ़-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग का लगभग 500 मीटर हिस्सा पानी में बह गया। यह घटना दोबाट इलाके में 98 से 102 किलोमीटर के बीच के हिस्से में हुई, जहां सड़क का एक टुकड़ा पानी में बह गया था। इसके कारण राष्ट्रीय राजमार्ग के इस अहम हिस्से में सड़क-संपर्क टूट गया।
इस आपात और गंभीर स्थिति से निपटने के लिये बीआरओ ने प्रोजेक्ट हीरक के एक विशेष दल को तैनात कर दिया, ताकि मरम्मत का काम फौरन शुरू किया जा सके और रास्ते से मलबा हटा दिया जाये। इस समय बीआरओ टास्क फोर्स के 80 सदस्य मलबा हटाने वाली मशीनों और जीसीबी की मदद से सड़क संपर्क को जल्द से जल्द बहाल करने में दिन-रात लगे हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक सितंबर को पिथौरागढ़ जिले के धारचूला का दौरा किया और 30 अगस्त, 2021 को आई बाढ़ तथा बादल फटने के बाद वहां जारी पुनर्वास कार्यों का जायजा लिया। बीआरओ टास्क फोर्स के कमांडर ने पिथौरागढ़-तवाघाट सड़क के टूटने और बीआरओ द्वारा किये जाने वाले पुनर्वास कार्यों के बारे में मुख्यमंत्री को जानकारी दी।
इस बीच, बीआरओ ने टूटे हिस्से में पैदल चलने का रास्ता तैयार कर दिया है, ताकि लोग पैदल आ-जा सकें। इसके अलावा बीआरओ ने मानवीय सहायता के तहत स्थानीय लोगों को खाने के पैकेट भी पहुंचाये हैं। चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद सड़क को जल्द से जल्द खोलने के लिये बीआरओ के सभी अफसर और कर्मचारी मौके पर मौजूद हैं और दिन-रात काम में लगे हैं।
प्रमुख बिन्दुः
लगातार बारिश, बादल फटने और आकस्मिक बाढ़ के हालात पैदा हो जाने के कारण पिथौड़ागढ़-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग का 500 मीटर हिस्सा पानी में बह गया, जिसके कारण राजमार्ग का एक हिस्सा टूट गया और यातायात बाधित हो गया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने धारचूला का दौरा किया और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) कर्मियों से बातचीत की।
सड़क संपर्क बहाल करने के लिये बीआरओ दल के 80 सदस्यों को तैनात किया गया है। वे मलबा साफ करने वाली मशीनों और जेसीबी की मदद से सड़क को दुरुस्त करने में जुटे हैं।
बीआरओ ने पैदल चलने के लिये रास्ता बना लिया है और दुर्गम गांवों में मानवीय सहायता के तहत खाने के पैकेट वितरित किये हैं।
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