मुंगेली : राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा,गरूवा,घुरूवा,बारी योजना के अंतर्गत नरवा विकास कार्यक्रम से ग्रामीणों को एक नई ताकत मिली है और वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे है। अब गांवों में भी विकास की बयार बहने लगी है।
छत्तीसगढ़ का आर्थिक विकास का आधार कृषि है। इसे देखते हुए वैज्ञानिक पद्धति एवं तकनीकी प्रबंधन के अध्ययन उपरांत प्रत्येक गांव में उपलब्ध विभिन्न जल स्त्रोतों एवं नालों में जल संचयन और संवर्धन हेतु संरचनाओं का निर्माण किया गया। मुंगेली जिले में नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम चरण में 36 नरवा की विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई। इस विस्तृत कार्य योजना में राजस्व क्षेत्र हेतु कुल 981 कार्य शामिल किये गये है। जिसमें से 771 कार्यो की पूर्णता उपरांत 86 प्रगतिरत कार्य पूर्णता की ओर है। इसी प्रकार वन क्षेत्र हेतु प्रथम चरण में कुल 6 हजार 738 कार्य शामिल किये गये। जिसमें से 6 हजार 528 कार्य पूर्ण कर लिये गये है। इन 36 नरवा हेतु कुल 94797.16 हेक्टेयर कैचमेंट एरिया का उपचार किया गया है। जिसमें 1120.75 राशि व्यय किया गया। इसी तरह नरवा कार्यक्रम अंतर्गत द्वितीय चरण में कुल 36 (राजस्व क्षेत्र 11 एवं वन क्षेत्र 25) नरवा की विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। इस विस्तृत कार्ययोजना में राजस्व क्षेत्र हेतु कुल 783 कार्य शामिल किये गये हैं जिसमें से 85 कार्यों की पूर्णता उपरांत 117 कार्य प्रगतिरत है। इन 36 नरवा हेतु 83171 हेक्टेयर कैचमेंट एरिया का उपचार किया गया। इन कार्यो से जरूरतमद लोगों को रोजगार का नया जरिया हासिल हुआ। मिट्टी के कटाव कम हुआ, नमी में वृद्धि हुई। निस्तारी और पशुओं के लिए पानी की उपलब्ध सुनिश्चित हुई। पानी का बहाव एक निश्चित दिशा में संभव हुआ। अधिक समय तक पानी का ठहराव हो पाया। वर्षा के बहते जल को रोक कर सिंचाई के लिए उपयोग कर पाना संभव हुआ। भूमि के जल स्तर में वृद्धि हुई। कृषि एवं कृषि से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा मिला और सिंचाई रकबे में वृद्धि हुई। जिसके फलस्वरूप कृषकों के आय में वृद्धि हुई।
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