जगदलपुर: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप बस्तर को मलेरिया मुक्त बनाने हेतु जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा सघन मलेरिया मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अपने मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य एवं वन संसाधनों से परिपूर्ण बस्तर अपने विशेषताओं के कारण पूरे दुनिया के लोगों को आकर्षित करता है। लेकिन मलेरिया बीमारी बस्तर के लोगों की प्रमुख समस्याओं में से एक है, बस्तर के लोग वर्षों से इस बीमारी की समस्या से जुझ रहे हैं। इसके कारण बस्तर के लोगों को जनधन की भी क्षति उठानी पड़ी है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाले छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा पिछले ढाई वर्षों के दौरान अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के अलावा बस्तर के लोगों को मलेरिया के अभिशाप से मुक्ति दिलाने का भी बीड़ा उठाया गया है। राज्य शासन के निर्देशानुसार पूरे बस्तर जिले में सघन मलेरिया मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है।
कलेक्टर श्री रजत बंसल के निर्देश पर बस्तर जिले को मरेलिया मुक्त बनाने के इस अभियान को सफल बनाने जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पूरी ताकत झोंक दी है। जिले में चल रहे मलेरिया मुक्त अभियान के चारों चरणों के दौरान स्वास्थ्य विभाग के टीक के द्वारा प्रत्येक घरों में पहुंचकर सर्वे कार्य के अलावा मलेरिया के लक्षण वाले मरीजों को चिंन्हित कर उनका मलेरिया जांच तथा पाॅजिटिव मरीजों को दवाई आदि वितरण के अलावा मच्छरदानी का वितरण तथा नुक्कड़ नाटक एवं अन्य माध्यमों से मलेरिया की रोकथाम की उपायों की जानकारी एवं आवश्यक मदद उपलब्ध कराई जा रही है। इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों एवं जांच दल में शामिल लोगों को कई स्थानों पर इस कार्य के लिए अत्यंत संघर्ष करना पड़ा। विशेषकर दरभा एवं लोहंडीगुड़ा विकासखण्ड के ऐसे गांव जहां आज भी आसान पहुंच मार्ग नहीं है। बारिश के दिनों में पुल-पुलियों के अभाव में नदी-नालों को पार कर पूरे साजो-सामान के साथ पहुंचे। मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के सपने को साकार करने के लिए अधिकारी-कर्मचारियों के दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है कि इस अभियान के चारों चरण सफलतापूर्वक संपन्न होने के साथ ही मलेरिया के दर मंे तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है।
मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के तहत न केवल घर-घर जाकर लोगों की मलेरिया जांच की जा रही है, बल्कि इसके साथ ही संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील क्षेत्रों को चिंन्हित कर प्राथमिकता के आधार पर सिंथेटिक पायरेथ्राईट एवं डीडीटी आदि मच्छररोधी दवाईयों का छिड़काव किया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में सकारात्मक मलेरिया मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत कमी आई है।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण जिले के सभी 7 विकासखण्डों में सफलतापूर्वक चलाया गया। इसके अन्तर्गत मलेरिया जांच के दौरान प्रथम चरण में 253295 व्यक्तियों में 5203, द्वितीय चरण में 389148 व्यक्तियों में से 4909, तृतीय चरण में 202300 व्यक्तियों में से 1817, चैथे चरण में 148168 व्यक्तियों में से 1469 मलेरिया पाॅजिटिव पाए गए। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इन सभी मरीजों की इलाज की समुचित व्यवस्था की गई। अभियान के चारो चरणों में जांच के दौरान पाॅजिटिविटी रेट प्रथम चरण 2.10 प्रतिशत, द्वितिय चरण में 1.26 प्रतिशत, तृतीय चरण में 0.90 प्रतिशत एवं चतुर्थ चरण में 0.99 प्रतिशत रहा। जांच के दौरान मलेरिया के लक्षण प्रथम चरण में 32.4 प्रतिशत, द्वितिय चरण में 36.6 प्रतिशत, तृतीय चरण में 27.3 प्रतिशत तथा चतुर्थ चरण में 41.2 प्रतिशत व्यक्तियों में पाये गए। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के मलेरिया जांच के अंतर्गत प्रथम चरण में 55 प्रतिशत, द्वितिय चरण में 54 प्रतिशत, तृतीय चरण में 55 प्रतिशत एवं चतुर्थ चरण में 53.9 प्रतिशत बच्चे मलेरिया पाॅजिटिव पाये गए। इसी तरह महिलाओं का पाॅजिटिव प्रतिशत प्रथम चरण में 95 प्रतिशत, द्वितिय चरण में 80 प्रतिशत, तृतीय चरण में 21 प्रतिशत एवं चतुर्थ में 17 प्रतिशत रहा। मलेरिया के संक्रमण का प्रभाव जिले के किलेपाल विकासखण्ड में सर्वाधिक है इसके अलाव दरभा एवं लोहण्डीगुड़ा विकासखण्ड के भी मलेरिया के संक्रमण की दृष्टि से अतिसंवेदनशील खण्डों में शामिल है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इन तीनों विकासखण्डों को मलेरिया मुक्त बनाने हेतु सभी उपाय सुनिश्चित किए जा रहे हंै। जिले में चलाए जा रहे सघन मलेरिया अभियान के फलस्वरूप जिले में मलेरिया के प्रकरणों में भारी कमी आई है। वर्तमान में जिले में एपीआई (वार्षिक परजीवी सूचकांक) 2.66 है।
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