नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक कार्यवाहक/नौकर अपने लंबे कब्जे के बावजूद संपत्ति पर कभी भी अपना दावा नहीं सकता है और उसे मालिक की मांग पर परिसर खाली करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने लंबे समय से संपत्ति की देखभाल के लिए रह रहे केयरटेकर से कब्जा लेने का प्रयास किया। नौकर ने कहा कि वह इस संपत्ति पर लंबे समय से रह रहा है इसलिए यह उसकी संपत्ति हो गई। इसके लिए उसे दीवानी कोर्ट में मुकदमा दायर किया और कहा कि उसे संपत्ति का शांतिपूर्ण कब्जा बनाए रखने का अंतरिम आदेश दिया जाए तथा मलिक को हस्तक्षेप से रोका जाए।
ट्रायल जज ने इस आधार पर आवेदन को खारिज कर दिया था कि ये विवादों की विषय-वस्तु हैं, जिनकी जांच केवल मालिक के कहने पर लिखित बयान दर्ज किए जाने के बाद ही की जा सकती है और यह आदेश टप्प् नियम 11, सिविल प्रक्रिया संहिता के दायरे में नहीं है। उस आदेश की उच्च न्यायालय ने पुष्टि की।
आदेश को रद्द करते हुए, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला देते हुए नौकर को आदेश दिया कि वह संपत्ति को तीन माह के अंदर खाली कर उसका कब्जा मालिक को सौंप दे। अदालत ने कहा कि यदि वह कब्जा नहीं देता तो उस पर कानूनी रूप से कार्रवाई की जाएगी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
Comment here
You must be logged in to post a comment.