नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 के बाद की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। भारत 116 देशों के सूचकांक (जीएचआई) में 2020 में जहां 94 रैंक पर था 2021 में वो 101वें स्थान पर आ गया है। भारत ने इसका कड़े शब्दों में इसका खंडन किया और डेटा को जो गैलप द्वारा लिया गया है, को टेलीफोनिक अनुमान पर आधारित बताया।
भारत ने अपने पड़ोसियों पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे रहने वाले निष्कर्षों की आलोचना करते हुए कहा कि “चार प्रश्न” सर्वेक्षण में यह प्रश्न शामिल नहीं था कि क्या उत्तरदाताओं को महामारी के दौरान सरकारी योजनाओं से समर्थन मिला था। इसने रिपोर्ट के असंगत निष्कर्ष की ओर भी इशारा किया कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों ने अपने पोषण की स्थिति में सुधार किया, यह सुझाव देते हुए कि महामारी का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
निष्कर्षों पर एक बयान में, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि यह ‘चौंकाने वाला’ है कि रिपोर्ट ने कुपोषित आबादी के अनुपात में खाद्य और कृषि संगठन के अनुमान के आधार पर भारत के रैंक को कम किया है, जो जमीनी हकीकत और तथ्यों से दूर है और गंभीर कार्यप्रणाली मुद्दों की इसमें कमी पाई गई है। 14 अक्टूबर को जारी की गई रिपोर्ट में इसकी प्रकाशन एजेंसियां, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ़ हैं।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय का कहना है कि एफएओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली ‘अवैज्ञानिक’ है। उन्होंने एक ‘चार प्रश्न’ जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर अपना मूल्यांकन आधारित किया है, जो गैलप द्वारा टेलीफोन पर आयोजित किया गया था। अल्पपोषण के वैज्ञानिक माप के लिए वजन और ऊंचाई की माप की आवश्यकता होगी, जबकि यहां शामिल पद्धति जनसंख्या के टेलीफोनिक अनुमान के आधार पर गैलप पोल पर आधारित है।’’
मंत्रालय यह भी कहता है कि रिपोर्ट “कोविड अवधि के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के बड़े पैमाने पर प्रयास की पूरी तरह से अवहेलना करती है, जिस पर सत्यापन योग्य डेटा उपलब्ध है। जनमत सर्वेक्षण में एक भी सवाल नहीं है कि क्या प्रतिवादी को सरकार या अन्य स्रोतों से कोई खाद्य समर्थन मिला है। इस जनमत सर्वेक्षण की प्रतिनिधित्वशीलता भी भारत और अन्य देशों के लिए संदिग्ध है।’’
यह आश्चर्यजनक और ध्यान देने वाली बात है कि डब्ल्यूसीडी के मुताबिक, चार देश- अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका, कोविड-19 महामारी से प्रेरित नौकरी/व्यवसाय की हानि और आय के स्तर में कमी से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुए हैं, बल्कि वे ‘अल्पपोषित आबादी के अनुपात’ संकेतक पर अपनी स्थिति में सुधार करने में सक्षम हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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