पटनाः बाजारवाद का शिकार होकर व्यावसायिक मंडियों की भीड़ में शामिल हो गई है मीडिया। पत्रकारों में भी नैतिक मूल्यों का क्षरण हुआ है। पत्रकारिता अब मिशन नहीं पेशा बन चुका है। बिहार और झारखंड को मिलाकर पिछले 6 सालों में अब तक 19 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है।
यह कहना है भारती श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव शाहनवाज हसन का। हसन राजधानी पटना में पत्रकार सुरक्षा और पत्रकारिता के बदले स्वरूप विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन भारती श्रमजीवी पत्रकार यूनियन से सम्बद्ध बिहार प्रेस मेंस यूनियन ने किया था। हसन ने कहा कि पत्रकारिता में हुए परिवर्तन से पत्रकारों पर एक और जहां आर्थिक संकट का खतरा बढ़ गया है वही उनके जान के भी लाले पड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया मंडियों के भीड़ में पैसा और परिवार दोनों की सुरक्षा के लिए पत्रकारों को संगठित होकर एक झंडे के नीचे सशक्त संघर्ष करने की आवश्यकता है।
इस संगोष्ठी को बिहार प्रेस मेंस यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल कुमार ने अध्यक्षता की।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव एवं वरीय पत्रकार एस एन श्याम ने कहा कि पत्रकार समुदाय और संगठन आज कई टुकड़ों में बटा है। वेब मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भीड़ में पत्रकारिता का मायने दोनों बदल गया है। सोशल मीडिया ने भी व्यापक प्रभाव डाला है। यही वजह है कि मीडिया को आम आवाम दलाल मीडिया एवं गोदी मीडिया कहने लगा है। कोविड-19 के प्रकोप ने पत्र, पत्रकार और पत्रकारिता की आर्थिक व्यवस्था को कमजोर किया है। बड़े पैमाने पर श्रमजीवी पत्रकारों की छटनी से पत्रकारिता में बेरोजगारी का दौर बढ़ा है। इस संगोष्ठी से बैठक में वरिष्ठ पत्रकार प्रभात कुमार को बिहार प्रेस मेंस यूनियन का प्रांतीय सचिव बनाया गया। भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के राष्ट्रीय महासचिव द्वारा उन्हें मनोनयन पत्र प्रमाण किया गया। दिनमान वेब पोर्टल के प्रशांत कुमार, यूनियन के उपाध्यक्ष और मगध वाणी के राज किशोर सिंह, दिनमान पोर्टल के प्रशान्त कुमार, राम किशन शर्मा, अंकेश कुमार, अमित कुमार संजय सिंह ने सम्बोधित किया।
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