रायपुर: राज्योत्सव में जनसम्पर्क विभाग की साइंस कॉलेज मैदान में लगी प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी है। महोत्सव के आज तीसरे दिन बड़ी संख्या में लोगो ने इसका अवलोकन किया। इनमें महिला स्वसहायता समूह की बहने, स्कूली छात्र छात्राएं एवं आम नागरिक शामिल हैं।
प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य प्रदर्शित किया गया है जिसमें माड़िया नृत्य, गेड़ी नृत्य, पंथी नृत्य परब नृत्य, राउतनाचा, पंडवानी, कर्मा नृत्य का सुन्दर चित्रण किया गया है । छत्तीसगढ़ लोक कलाओ की दृष्टि से काफी समृद्ध है। यहां के नृत्य भारत वर्ष में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। यहां के लोक नृत्यों में मांदर, झाँझ मंजीरा और डण्डा प्रमुख रूप से प्रयुक्त होता है। नृत्य करत करते समय मयूर के पंख, गूज, कौड़ी और गुरियों की माला आदि आभूषण धारण करते हैं। प्रदर्शनी में आए लोगों को प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं एवं कार्यक्रमों से सम्बन्धित पाम्पलेट, ब्रोशर एवं मासिक पत्रिका जनमन का निःशुल्क वितरण भी किया जा रहा है। साइंस कॉलेज मैदान में शिल्पग्राम भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है। यहां बुनकरों द्वारा पारंपरिक वस्त्र, कोसा के उत्पाद, बेलमेटल मिट्टी के दीया आदि बिक्री के लिए स्टाल लगाया गया है। दिवाली पर्व को ध्यान में रखते हुए मिट्टी के दीये हाथो हाथ बिक रहे हैं।
धमतरी जिले के मगरलोड विकासखंड की जय श्री लक्ष्मी, ओम शांति, आराधना महिला स्व सहायता समूह की सदस्यों ने आज प्रदर्शनी का अवलोकन किया और अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की पारंपरिक नृत्य को बहुत ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इसी प्रकार दुर्ग जिले के अमलेश्वर निवासी महाविद्यालय की छात्राएं कुमारी निशा, सुनीता और अनुपमा ने कहा कि वह कॉलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती हैं। उन्हें बस्तर का नृत्य बहुत पसंद है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से बस्त्तीरथ सहित छत्तीसगढ़ के अन्य नृत्य विधाओं और वाद्ययंत्र के बारे में जानने का अवसर मिला।
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