नई दिल्लीः चीनी राज्य मीडिया ने भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और 12 अन्य लोगों की जान लेने वाले हेलीकॉप्टर दुर्घटना पर एक साजिश के सिद्धांत को खारिज कर दिया है। ग्लोबल टाइम्स ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘भारत के सर्वाेच्च रैंक वाले सैन्य अधिकारी जनरल बिपिन रावत के साथ एक हेलीकॉप्टर का दुर्घटनाग्रस्त होना दुर्भाग्यपूर्ण था। लेकिन भारत में एक तथाकथित विद्वान ब्रह्म चलानी ने इस दुर्भाग्य का फायदा उठाया और भारत-चीन संबंधों में नए तनाव पैदा करने का प्रयास किया है।
बुधवार (8 दिसंबर) को दुर्घटना के बाद, दिल्ली के एक लेखक और टिप्पणीकार चेलानी ने ट्वीट किया था, ‘‘ऐसे समय में जब चीन की 20 महीने लंबी सीमा पर आक्रमण के कारण हिमालयी मोर्चे पर युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है, दुखद मौत भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्य कर्मियों के लिए एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में इससे बुरा समय नहीं आ सकता था।’’ उनके ट्विटर थ्रेड पर पढ़ा गया, ‘‘जनरल रावत की मौत 2020 की शुरुआत में हेलीकॉप्टर दुर्घटना के साथ एक भयानक समानांतर है जिसमें ताइवान के जनरल स्टाफ के प्रमुख जनरल शेन यी-मिंग और दो प्रमुख जनरलों सहित सात अन्य मारे गए। प्रत्येक हेलीकॉप्टर दुर्घटना पीआरसी की आक्रामकता के खिलाफ बचाव में एक प्रमुख व्यक्ति को समाप्त कर दिया।’’
लेकिन फिर उन्होंने कहा, ‘‘अजीब समानांतर का मतलब यह नहीं है कि दो हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं या बाहरी हाथ के बीच कोई संबंध था। यदि कुछ भी हो, तो प्रत्येक दुर्घटना ने महत्वपूर्ण आंतरिक प्रश्न उठाए हैं, खासकर शीर्ष जनरलों को ले जाने वाले सैन्य हेलीकॉप्टरों के रखरखाव के बारे में।’’
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ‘‘चेलानी की बात हास्यास्पद लगती है। रावत चीनी विमान पर नहीं थे। हेलीकॉप्टर चीन-भारत सीमा के पास कहीं भी दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ, बल्कि दक्षिणी भारत में हुआ है। हालांकि, चेलानी ने अपना समय बर्बाद किया है।
इस दुर्घटना ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया में भी सदमे की लहर पैदा की, क्योंकि ऐसा गंभीर दुर्घटना देखना दुर्लभ है, जिसने एक शीर्ष सैन्य अधिकारी के जीवन का दावा किया, यह कहा। पर्यवेक्षक विश्लेषण कर रहे हैं कि क्या गलत हुआ। कुछ लोग कहते हैं कि यह एक यांत्रिक विफलता हो सकती है; रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरों का कहना है कि यह मानवीय भूल थी या यह मौसम से संबंधित थी।
हालांकि, चीन के सरकारी मीडिया ने जनरल रावत की मौत के इस दुर्भाग्यपूर्ण समय में भी भारत की सेना पर टिप्पणी करने का मौका नहीं गंवाया। ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय सैन्य कौशल पर हमला करते हुए कहा, ‘‘भारत के सैन्य उपकरणों की क्षमता उतनी प्रभावशाली नहीं है जितना कि देश घमंड कर रहा है।’’
भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र में बहुत सीमित क्षमता है। यह हथियारों के घटकों और कुछ हथियारों को घर पर बना सकता है, लेकिन इसके अधिकांश सैन्य उपकरण भारत में आयात और असेंबल किए जाते हैं। इसके स्थानीय रूप से उत्पादित हथियार ज्यादातर अन्य देशों के हथियारों पर आधारित होते हैं। वह कहा जा रहा है, जब हथियार वास्तविक उपयोग में आते हैं तो अक्सर छिपे हुए खतरे होते हैं। चेलानी और अन्य कट्टरपंथी भारतीयों को याद दिलाया जाना चाहिए कि यह भारत का अपना सैन्य हेलीकॉप्टर था जो अपने रक्षा प्रमुख की रक्षा करने में विफल रहा। इस तरह की दुर्घटना की संभावना बहुत कम है, फिर भी यह भारत में हुई। इसका मतलब भारत का सबसे बड़ा दुश्मन चीन नहीं, बल्कि उसका अपना पिछड़ापन है।
चीनी सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया, ‘‘कुछ सैन्य उपकरण काफी पुराने हैं लेकिन अभी भी सेवा में हैं। ये दिखाते हैं कि भारत की समग्र सैन्य क्षमता चिंताजनक है।’’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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