विविध

प्रयागराज में हनुमान जी का अनूठा मंदिर, जहाँ लेटे हुए हैं बजरंगबली

अनमोल कुमार धर्म की नगरी इलाहाबाद (Allahabad) में संगम (Sangam) किनारे शक्ति के देवता हनुमान जी (Hanuman ji) का एक अनूठा मन्दिर (Unique Temple) है। यह पूरी दुनिया मे इकलौता मन्दिर है, जहां बजरंगबली (Bajrangbali) की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस […]

अनमोल कुमार

धर्म की नगरी इलाहाबाद (Allahabad) में संगम (Sangam) किनारे शक्ति के देवता हनुमान जी (Hanuman ji) का एक अनूठा मन्दिर (Unique Temple) है। यह पूरी दुनिया मे इकलौता मन्दिर है, जहां बजरंगबली (Bajrangbali) की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है।

हनुमान जी के पुनर्जन्म की कथा
इस मान्यता के पीछे रामभक्त हनुमान के पुनर्जन्म की कथा जुड़ी हुई है। लंका विजय के बाद बजरंगबली (Bajrangbali) जब अपार कष्ट से पीड़ित होकर मरणा सन्न अवस्था मे पहुँच गए थे। तो माँ जानकी ने इसी जगह पर उन्हे अपना सिन्दूर देकर नया जीवन और हमेशा आरोअग्य व चिरायु रहने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो भी इस त्रिवेणी तट (Triveni) पर संगम स्नान पर आयेंगा उस को संगम स्नान का असली फल तभी मिलेगा जब वह हनुमान जी (Hanuman ji) के दर्शन करेगा।

प्रयाग के कोतवाल का दर्जा
यहां स्थापित हनुमान (Hanuman) की अनूठी प्रतिमा को प्रयाग का कोतवाल होने का दर्जा भी हासिल है। आमतौर पर जहां दूसरे मंदिरों मे प्रतिमाएँ सीधी खड़ी होती हैं। वही इस मन्दिर मे लेटे हुए बजरंग बली की पूजा होती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक लंका विजय के बाद भगवान राम जब संगम स्नान कर भारद्वाज ऋषि से आशीर्वाद लेने प्रयाग आए तो उनके सबसे प्रिया भक्त हनुमान इसी जगह पर शारीरिक कष्ट से पीड़ित होकर मूर्छित हो गए।

क्यों है सिन्दूर चढ़ाने की परम्परा
पवन पुत्र को मरणासन्न देख माँ जानकी ने उन्हें अपनी सुहाग के प्रतीक सिन्दूर से नई जिंदगी दी और हमेश स्वस्थ एवं आरोअग्य रहने का आशीर्वाद प्रदान किया। माँ जानकी द्वारा सिन्दूर से जीवन देने की वजह से ही बजरंग बली (Bajrangbali) को सिन्दूर चढाये जाने की परम्परा है।

औरंगजेब नहीं हटा पाया इस प्रतिमा को
हनुमान जी (Hanuman Ji) की इस प्रतिमा के बारे मे कहा जाता है कि 1400 इसवी में जब भारत में औरंगजेब का शासन काल था तब उसने इस प्रतिमा को यहां से हटाने का प्रयास किया था। करीब 100 सैनिकों को इस प्रतिमा को यहां स्थित किले के पास के मन्दिर से हटाने के काम मे लगा दिया था। कई दिनों तक प्रयास करने के बाद भी प्रतिमा टस से मस न हो सकी। सैनिक गंभीर बिमारी से ग्रस्त हो गये। मज़बूरी में औरंगजेब को प्रतिमा को वहीं छोड़ दिया।

तमाम विभूतियों ने यहां अपना सर झुकाया
संगम आने वाल हर एक श्रद्धालु यहां सिंदूर चढ़ाने और हनुमान जी के दर्शन को जरुर पहुंचता है। बजरंग बली (Bajrangbali) के लेटे हुए मन्दिर मे पूजा-अर्चना के लिए यूं तो हर रोज़ ही देश के कोने-कोने से हजारों भक्त आते हैं लेकिन मंदिर के महंत आनंद गिरी महाराज के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के साथ-साथ पंडित नेहरू (Pandit Nehru), इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), राजीव गांधी (Rajeev Gandhi), सरदार बल्लब भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) और चन्द्र शेखर आज़ाद (Chandra Shekhar Azad) जैसे तमाम विभूतियों ने अपने सर को यहां झुकाया, पूजन किया और अपने लिए और अपने देश के लिए मनोकामन मांगी। यह कहा जाता है कि यहां मांगी गई मनोकामना अक्सर पूरी होती है।

श्रद्धालुओं को होती है सुखद अनुभूति 
आरोग्य व अन्य कामनाओं के पूरा होने पर हर मंगलवार और शनिवार को यहां मन्नत पूरी होने का झंडा निशान चढ़ने के लिए लोग जुलूस की शक्ल मे गाजे-बाजे के साथ आते हैं। मन्दिर में कदम रखते ही श्रद्धालुओं को अजीब सी सुखद अनुभूति होती है। भक्तों का मानना है कि ऐसे प्रतिमा पूरे विश्व मे कहीं मौजूद नहीं है।