दिल्ली/एन.सी.आर.

Delhi’s E-rickshaw chaos: परिवहन की जीवनरेखा या यातायात का संकट?

दिल्ली के किसी भी कोने में चले जाएं ये ई-रिक्शा भारी मात्रा में हर जगह दिखाई दे जाएंगे, जिससे ट्रैफ़िक जाम होना आम बात हो गया है। खासकर मेट्रो स्टेशन पर इनका जमावड़ा बड़ी चिंता का सबब है।

E-rickshaw chaos: ई-रिक्शा दिल्ली के परिवहन तंत्र का एक बड़ा हिस्सा बन गए हैं, लेकिन सड़कों पर सिरदर्द भी बन गए हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए चलाए गए ई-रिक्शा अब एक सुचारू यातायात के लिए दुःस्वप्न साबित हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके लिए यातायात का कोई भी नियम नहीं है। और जो नियम इनके लिए बनाए गए हैं उसे ये मानते नहीं हैं।

यातायात के नियमों का पालन न करना
कम नियमों के साथ चलने वाले यही वाहन भीड़भाड़, अतिक्रमण, उल्लंघन और सुरक्षा संबंधी चिंताओं का एक बड़ा कारण बन गए हैं। रात के समय कई चालक शराब पिये हुए रहते हैं, जिससे दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। किसी भी रेड लाईट पर ये रूकते नहीं हैं। सबसे गंभीर स्थिति तो तब उत्पन्न होती है जब ये ई-रिक्शा चालक मेन सड़कों और हाईवे पर गलत लेन में फर्राटे से अपनी गाड़ी दौड़ाते नज़र आते हैं, जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। लेकिन इतना होने पर भी ट्रैफ़िक पुलिस बस खामोशी से खड़े होकर तमाशा देखती रहती है।

ई-रिक्शा को मिनी मेट्रो, टिर्री और असेंबल किए गए ई-रिक्शा के लिए जुगाड़ रिक्शा जैसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।

दिल्ली के किसी भी कोने में चले जाएं ये ई-रिक्शा भारी मात्रा में हर जगह दिखाई दे जाएंगे, जिससे ट्रैफ़िक जाम होना आम बात हो गया है। खासकर मेट्रो स्टेशन पर इनका जमावड़ा बड़ी चिंता का सबब है।

ई-रिक्शा की संख्या तेज़ी से बढ़ना
पिछले एक दशक में, दिल्ली-एनसीआर में ई-रिक्शा की संख्या तेज़ी से बढ़ी है, जो 2011 में लगभग 10,000 से बढ़कर 2025 में लगभग 2.5 लाख हो गई है। ये संख्या सिर्फ पंजीकृत ई-रिक्शा की है। इसके अलावा हजारों की संख्या में अपंजीकृत ई-रिक्शा भी धड़ल्ले से चल रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग के पास ऐसे आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

इनकी बढ़ती संख्या न केवल भारी माँग को दर्शाती है, बल्कि नीतिगत क्रियान्वयन में कमियों को भी उजागर करती है। कई चालक बिना लाइसेंस के वाहन चलाते हैं, यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं और मेट्रो स्टेशनों व बाज़ारों जैसे व्यस्त गलियारों में जाम की स्थिति पैदा़ करते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि रोज़ाना यातायात की उलझन और दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या है।

4 लाख से ज्यादा चालान जारी
दिल्ली ट्रैफ़िक पुलिस ने 1 जनवरी 2025 से 11 सितंबर 2025 तक विभिन्न उल्लंघनों के लिए 4 लाख से ज्यादा ई-रिक्शा चालकों पर जुर्माना लगाया है। इसी अवधि में उल्लंघनों (नशे में गाड़ी चलाना, दस्तावेज़ न दिखाना आदि) के लिए लगभग 2,180 से ज्यादा पंजीकृत ई-रिक्शा ज़ब्त किए गए। लेकिन ये आंकड़े काफी नहीं हैं।

जनवरी से अगस्त 2025 तक, नोएडा यातायात पुलिस ने विभिन्न उल्लंघनों के लिए 45,000 चालान जारी किए और 2,633 ई-रिक्शा ज़ब्त किए।

परिवहन विभाग के अधिकारी 2014 में जारी केंद्र सरकार की एक अधिसूचना का हवाला देते हैं जिसमें ई-रिक्शा को सामान्य वाहन-परमिट आवश्यकताओं से छूट दी गई थी।

एआरटीओ (प्रशासन) के अधिकारी का कहना है कि वाहन परमिट एक आधिकारिक प्राधिकरण है जो किसी वाहन को किसी विशिष्ट उद्देश्य, मार्ग या क्षेत्र के लिए संचालित करने की अनुमति देता है। ई-रिक्शा उस प्रणाली से बाहर हैं। हालाँकि, ई-रिक्शा को परमिट से छूट दी गई है। ई-रिक्शा चालक को इसे खरीदने और चलाने के लिए केवल एक वैध ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता होती है।

फिटनेस प्रमाणपत्र और बीमा होना आवश्यक
हालाँकि, ई-रिक्शा के लिए अभी भी पंजीकरण प्रमाणपत्र, फिटनेस प्रमाणपत्र और बीमा होना आवश्यक है। चूँकि ये इलेक्ट्रिक हैं, इसलिए इन्हें प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। परमिट व्यवस्था के अभाव का अर्थ है कि मार्गों, किराया संरचना, गति सीमा या यात्री क्षमता को नियंत्रित करने वाले कोई आधिकारिक नियम नहीं हैं।

वाहन अक्सर चलने से पहले सभी सीटें भरने का इंतज़ार करते हैं, कभी-कभी कानून द्वारा निर्धारित चार सीटों की सीमा से ज्यादा यात्रियों को ले जाते हैं। ओवरलोडिंग, गलत लेन में गाड़ी चलाना और फिटनेस प्रमाणपत्र का अभाव आम बात है।

ई-रिक्शा दुर्घटनाओं का शिकार
शहर में ई-रिक्शा दुर्घटनाओं का भी शिकार हुए हैं। पिछले साल मई में, एक तेज़ रफ़्तार बीएमडब्ल्यू ने एक ई-रिक्शा को टक्कर मार दी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए। इस साल 22 जुलाई को, एनएच-9 पर गलत दिशा में जा रहे एक ई-रिक्शा की एक सियाज़ सेडान से टक्कर हो गई, जिससे चालक की मौत हो गई और एक दूसरे वाहनों में टकराकर कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।

दिल्ली के भीड़ भरे बाजारों में सैकड़ों ई-रिक्शा चलते हुए पाए गए, जो बेतरतीब ढंग से पार्किंग करते हैं और कैरिजवे को संकरा कर देते हैं। ये ई-रिक्शा मेट्रो स्टेशनों तक पहुंचने के गलत दिशा में गलत दिशा में चलते हैं, जिसके कारण कई दुर्घटनाएं सामने आती हैं।

यातायात नियमों का उल्लंघन
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अक्टूबर 2014 में केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन करके ई-रिक्शा को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अंतर्गत लाया। इस कानून के तहत चार यात्रियों (चालक को छोड़कर) की बैठने की सीमा और 40 किलोग्राम सामान की सीमा तय की गई है। प्रत्येक वाहन के बाईं ओर मालिक का नाम, पता और फ़ोन नंबर अंकित होना चाहिए, उसके पास वैध फिटनेस और बीमा प्रमाणपत्र होना चाहिए, और वह परिवहन वाहन के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। खड़े यात्रियों के बैठने पर प्रतिबंध है। लेकिन नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है।

भीड़भाड़ वाले व्यावसायिक इलाकों के दुकानदार भी दबाव महसूस कर रहे हैं। चांदनी चौक और सदर के दुकानदारों से बात करने पर उन्होंने बताया कि ई-रिक्शा चालकों द्वारा अतिक्रमण बड़े पैमाने पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि हर दिन सैकड़ों लोग खरीदारी करने आते हैं। रेहड़ी-पटरी वाले पहले से ही जगह घेरते हैं, और अब ई-रिक्शा सड़क पर ही खड़े हो जाते हैं, जिससे यात्रियों के लिए चलने-फिरने की जगह ही नहीं बचती। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भी कमोवेश ऐसी ही स्थिति है।

शहर में मज़बूत सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का अभाव होने के कारण, यात्रियों के लिए वाहन बेहद अहम हैं। ई-रिक्शा किफ़ायती और सुविधाजनक हैं, लेकिन इनके लिए उचित नियमन की ज़रूरत है क्योंकि कई चालक यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं और जाम की स्थिति को और बदतर बना देते हैं।

दिल्ली सरकार के लिए चुनौती
सार्वजनिक परिवहन को सुचारू रूप से चलाने के लिए दिल्ली सरकार के सामने एक चुनौती है। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि दिल्लीवालों के लिए समुचित सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था की जानी चाहिए। साथ ही, नए ई-रिक्शा के पंजीकरण पर रोक लगानी चाहिए और जो ई-रिक्शा चल रहे हैं उनकी फिटनेस करवाने के लिए कड़े कानून बनाने चाहिए। सरकार को ई-रिक्शा चालकों को यातायात के नियम सख्ती से सिखाने का निर्देश देना चाहिए ताकि दिल्लीवासियों का सड़क पर चलना एक दुःस्वप्न न बन जाए।