बिहार

अहम बैठक से एक दिन पहले, बीजेपी ने किया जातीय जनगणना का जोरदार समर्थन

नई दिल्लीः बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री (Chief Minister) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व वाले राज्य के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से जाति-आधारित जनगणना की मांग के एक दिन पहले, भाजपा ने जाति-आधारित गणना के कदम का जोरदार समर्थन किया। बिहार के वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुशील […]

नई दिल्लीः बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री (Chief Minister) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व वाले राज्य के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से जाति-आधारित जनगणना की मांग के एक दिन पहले, भाजपा ने जाति-आधारित गणना के कदम का जोरदार समर्थन किया।

बिहार के वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पार्टी ने हमेशा जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया है और सोमवार को पीएम से मिलने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। भाजपा जाति जनगणना के खिलाफ कभी नहीं रही है, इसलिए हम इस मुद्दे पर विधान सभा और विधान परिषद में पारित प्रस्ताव का हिस्सा रहे हैं। 

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम का बयान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी टीम में ओबीसी के सदस्यों को रिकॉर्ड प्रतिनिधित्व देने और चिकित्सा पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटा की घोषणा सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुसरण करता है।

इससे पहले, यूपी से पार्टी के लोकसभा सदस्य संघमित्रा मौर्य ने 127 वें संशोधन विधेयक पर बोलते हुए राज्यों की अपनी ओबीसी कोटा सूची बनाने की शक्तियों को बहाल करते हुए जाति आधारित जनगणना का पुरजोर समर्थन किया था।

सुशील मोदी ने 2014 में तत्कालीन ग्रामीण विकास स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे के संसद में दिए गए बयान को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के निष्कर्षों को विश्वसनीय नहीं मान सकती क्योंकि एकत्र किए गए आंकड़ों में कमियां हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘उस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर जब ग्रामीण विकास और शहरी विकास मंत्रालयों द्वारा सामाजिक आर्थिक जाति सर्वेक्षण किया गया तो उसमें करोड़ों त्रुटियाँ पाई गईं। जातियों की संख्या लाखों में पहुँची।’’ सुशील मोदी ने कहा कि अशुद्धियों के कारण रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया।

भाजपा नेता ने कहा कि ब्रिटिश राज के तहत 1931 की पिछली जनगणना के समय बिहार, झारखंड और उड़ीसा एक थे। मोदी ने कहा, ‘‘बिहार की करीब एक करोड़ की आबादी में उस समय सिर्फ 22 जातियों की जनगणना हुई थी। अब 90 साल बाद आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों में बड़ा अंतर आया है।’’

उन्होंने कहा कि हालांकि जाति जनगणना कराने में कई तकनीकी और व्यावहारिक कठिनाइयां हैं, फिर भी भाजपा सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है।

10 अगस्त को बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य ने 127वें संशोधन बिल में हिस्सा लेते हुए जाति जनगणना की जोरदार पैरवी की थी। पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, ने कहा था, ‘‘पहले जानवर भी गिने जाते थे, लेकिन पिछड़ी जाति नहीं। बीजेपी सरकार अब कर रही है।’’

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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