रायपुर: महिलाएं अब घरों की चार दीवारी तक ही सीमित न रहकर अपनी कार्यकुशलता और क्षमता से परिवार का नाम रोशन करने के साथ समाज के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बन रहीं हैं। इन्हीं महिलाओं में महासमुंद जिले के बसना जनपद पंचायत परिसर में स्थित ‘‘फुलझर कलेवा’’ का संचालन कर रहीं ज्योति महिला स्व-सहायता समूह, अरेकेल की दिव्यांग महिलाएं भी शामिल हैं, जो अपने हौसलों से समाज के लिए एक मिसाल बन गई हैं। ये महिलाएं न सिर्फ छत्तीसगढ़ी स्वाद का खजाना बिखेर रहीं हैं बल्कि इन्होंने फुलझर कलेवा की दीवालों पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति, लोकनृत्य आदि को विभिन्न रंगों के साथ उकेरा है। यहां लोग छत्तीसगढ़ी व्यंजन का लुत्फ उठाने के साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति से परिचित भी हो रहेे हैं।
ज्योति महिला समूह की अध्यक्ष कुमारी देवांगन ने बताया कि उनका उद्देश्य छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परम्पराओं को संरक्षित करते हुए पारम्परिक खान-पान, व्यंजनों से देश-दुनिया को परिचित कराना है। वर्तमान में लोगों के पास समय की कमी है तब छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद लोगों को सुगमतापूर्वक उपलब्ध कराने के साथ लुप्तप्राय विधि को जीवंत बनाए रखने का काम उनका समूह कर रहा है। उन्होंने बताया कि ज्योति महिला स्व-सहायता समूह में 05 सदस्य हैं। इनमें उनके अलावा सचिव श्याम बाई सिदार, सदस्य सुमन साव, उकिया भोई एवं चन्द्रमा यादव शामिल हैं। उन्होंनेे बताया कि जनपद पंचायत के अधिकारियों ने उन्हें ‘‘बिहान’’ योजना के बारें में जानकारी दी। इससे वे प्रेरित होकर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कलेवा संचालन का मन बनाया।
जनपद पंचायत परिसर में 11 नवम्बर 2020 को ‘‘फुलझर कलेवा’’ के शुभारंभ से इसका संचालन समूह की महिलाओं द्वारा रोज सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक किया जाता है। यहां वे समोसा, कचौड़ी, बड़ा, चीला, मिर्ची भजिया, डोसा, इडली, मुंगौड़ी, गुलगुल भजिया, चाय सहित कई प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाती हैं। ‘‘फुलझर कलेवा’’ में आस-पास के जनपद पंचायत, मनरेगा, पोस्ट ऑफिस, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, कृषि विभाग के शासकीय कार्यालयों के अधिकारी-कर्मचारी के अलावा काम-काज के लिए दूर-दराज से आए ग्रामीण भी चाय-नाश्ता करते हैं, जिससे उन्हें रोज अच्छी खासी कमाई हो रही है।
उन्होंने बताया कि पहले वे लोग बेरोजगार रहते थे, जिससे उन्हें काफी आर्थिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था। अब ‘‘फुलझर कलेवा’’ के संचालन से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। इससे समूह की सभी महिलाएं काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि कलेवा शुरू करने के पहले जनपद और जिला स्तरीय अधिकारियों ने उन्हें प्रशिक्षण दिया और लेन-देन, बचत, उधार, बैंक में खाता खुलवाना और हर हफ्ते बैठक जैसी व्यवसाय से संबंधित कई बातें सिर्खाइं। अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षणों से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें समाज में एक नई पहचान मिली है। अब उनके नाम से लोग उन्हें जानने लगे हैं। उनके माता-पिता सहित पूरे परिवार को उन पर गर्व है। अब वे अपनी जैसी अन्य महिलाओं को भी जागरूक करने का प्रयास कर रहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ी खान पान एवं व्यंजन विक्रय के लिए गढ़कलेवा छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों में वित्तीय वर्ष 2020 में प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया। इसके अंतर्गत स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह को प्रशिक्षित कर तथा गढ़कलेवा हेतु स्थल, शेड आदि तैयार कर संचालन हेतु दिए जा रहे हैैं। इससे गरीब परिवारों को जीवन यापन के लिए रोजगार प्राप्त हो रहा है और वे आत्मनिर्भर बन रहें हैं।
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