रायपुर: राज्य में किसानों की खुशहाली के लिए सिंचित रकबे को दोगुना किए जाने के लक्ष्य को लेकर जल संसाधन विभाग द्वारा सिंचाई की नवीन योजनाओं के निर्माण के साथ-साथ पुरानी परियोजनाओं के जीर्णाेंद्धार, मरम्मत एवं नहर लाईनिंग के जरिए उनकी सिंचाई क्षमता को पुनर्स्थापन का कार्य तेजी से कराया जा रहा है। किसानों के लिए एक-एक बूंद को सहेजने की मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सोच को जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे के मार्गदर्शन में जल संसाधन विभाग की नवीन सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण तथा पुरानी सिंचाई योजना को दुरूस्त कराकर ढाई सालों में लगभग पौने तीन लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा सृजित की गई है।
राज्य के दुर्ग जिले के जल संकटग्रस्त क्षेत्र माने जाने वाले धमधा में पहली बार हजारों हेक्टेयर रकबे की खरीफ फसलों को सिंचाई के लिए जलापूर्ति की गई है। पिछले ढाई सालों में धमधा क्षेत्र में माइनर टैंक और डायवर्सन योजनाओं का जो जाल बिछा है, उससे 1500 हेक्टेयर अतिरिक्त रकबा सिंचिंत हुआ है। यह बढ़त 70 फीसदी है और अभूतपूर्व है। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविंद्र चौबे ने किसानों की जरूरतों के मुताबिक इन योजनाओं को आरंभ किया। दो वर्ष पहले 2100 हेक्टेयर सिंचिंत रकबा था और अब सिंचिंत रकबा 3600 हेक्टेयर हो गया है। किसान खुश है। किसानों की यह खुशी आने वाले दिनों में दोगुनी हो जाएगी, क्योंकि अभी 5000 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता के लिए कई कार्य तेजी से कराए जा रहे हैं और कई प्रस्तावित कार्य शीघ्र शुरू किए जाने की स्थिति में है।
सिंचाई के रकबे में वृद्धि आमतौर पर धीमी गति से होती है क्योंकि इसके लिए वृहद स्तर पर योजनाएं लानी होती हैं और मौजूद संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण में काफी वक्त लगता है। शासन ने इस अहम कार्य की जरूरत को देखते हुए जल संसाधन विभाग के अमले को युद्धस्तर पर मौजूदा कार्यों को तेजी से करने एवं उपयोगी प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये। निर्देशों पर पुख्ता अमल हुआ और अब धमधा में सिंचाई की स्थिति में शानदार बदलाव आया है। जल संसाधन विभाग तांदुला संभाग के कार्यपालन अभियंता श्री सुरेश पांडे ने बताया कि मनरेगा के माध्यम से भी मरम्मत का कार्य किया गया है। सबसे बड़ा काम हुआ है माइनर टैंक और डायवर्सन के माध्यम से धमधा की जीवनरेखा कहे जाने वाले तालाबों को भरने का। इनके निकट के खेतों में भरपूर पानी पहुँचा है और समीप के इलाकों में जलस्तर भी तेजी से बढ़ा है।
पचास करोड़ की सिंचाई योजनाओं से भविष्य और भी चमकदार- लिफ्ट इरीगेशन जैसी योजनाओं के माध्यम से उन खेतों तक पानी पहुँचाये जाने की योजना है जहाँ पर परंपरागत तरीके से पानी पहुँचाना कठिन है। गनिया में लिफ्ट एरिगेशन के लिए 6 करोड़ रुपए की लागत प्रोजेक्ट है इससे 600 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। गनिया प्रोजेक्ट से किसानों की बेहतर खेती को लेकर उम्मीद कई गुना बढ़ गई है। आमनेर नदी में शिवकोकड़ी लिफ्ट इरीगेशन का 17 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए गया है। सोनबरसा डायवर्सन 9 गांवों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आयेगा। इसे 22 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जाएगा। अकोली जलाशय 3 गांवों के लिए है और इसकी लागत 6 करोड़ रुपए है।
किसान बेटा हा किसान बेटा के दुख-दर्द ला समझिस- आजाद चौक धमधा के निवासी और किसान श्री संतोष कुमार साहू ने बताया कि जैसन सोचे नइ रेहेन, ओखर ले बढ़िया फसल आइस। जितना सोचा नहीं था उससे ज्यादा अच्छी फसल आई। तालाब लबालब हुए। नहर लाइनिंग का कार्य हुआ, इससे आसपास भूमिगत जलस्तर बढ़ा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री किसान के बेटा हवय, एखर सेती किसान के दुख-दर्द ला समझथे।
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