छत्तीसगढ़

ग्राम महाराहाउरनार के किसान लखमा की कृषि यंत्र मिलने से सवर गई जिदंगी

दंतेवाड़ा: कुआकोण्डा विकासखण्ड के ग्राम महाराहाउरनार निवासी लखमा पिता गंगा की कृषि विभाग के मार्गदर्शन एवं डीएमएफ योजना अन्तर्गत कृषि यंत्र मिलने से जिदंगी सवर गई। लखमा का कहना है कि उनके पास बड़े खेत होने से उन्हे जुताई का कार्य दूसरों के किराये के ट्रेक्टर लेकर करना पड़ा था जिसके लिए उन्हे बहुत अधिक […]

दंतेवाड़ा: कुआकोण्डा विकासखण्ड के ग्राम महाराहाउरनार निवासी लखमा पिता गंगा की कृषि विभाग के मार्गदर्शन एवं डीएमएफ योजना अन्तर्गत कृषि यंत्र मिलने से जिदंगी सवर गई। लखमा का कहना है कि उनके पास बड़े खेत होने से उन्हे जुताई का कार्य दूसरों के किराये के ट्रेक्टर लेकर करना पड़ा था जिसके लिए उन्हे बहुत अधिक किराया पटाना पड़ता था। साथ ही सही समय पर ट्रेक्टर उपलब्ध न हाने पर बैलो से जुताई का कार्य करना पड़ता था। जिससे बहुत अधिक समय एवं श्रम लगता था। समय पर सही काम न होने पर फसल लगाने में पिछड़ जाते थे।

उन्हे कृषि विभाग की मार्गदर्शन एवं डीएमएफ योजना अन्तर्गत ट्रेक्टर दिया गया जिसके बाद उन्होने अपने खेतो की सही समय पर जुताई, बोआई की। साथ ही ट्रेक्टर का उपयोग अन्य कार्यो में जैसे धान के मिजंाई, ढुलाई आदि भी किया। कृषि विभाग की योजना से लाभ लेने के बाद उन्होने खेती में खेत तैयारी में लगने वाले खर्च को बहुत कम कर लिया। जिसकी उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।

उन्होने खरीफ एवं फसल 2019-20 में दाल, दलहन तथा सब्जी में क्रमशः 35 हजाररूपये एवं 20 हजार रूपये, 2020-21 खरीफ एवं फसल में दाल, दलहन तथा सब्जी में क्रमशः 40 हजार रूपये एवं 25 हजार रूपये का लाभ कमाया जिसके लिए वो कृषि विभाग एवं शासन को धन्यवाद देते थे।

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ग्राम महाराहाउरनार के किसान लखमा की कृषि यंत्र मिलने से सवर गई जिदंगी

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दंतेवाड़ा: कुआकोण्डा विकासखण्ड के ग्राम महाराहाउरनार निवासी लखमा पिता गंगा की कृषि विभाग के मार्गदर्शन एवं डीएमएफ योजना अन्तर्गत कृषि यंत्र मिलने से जिदंगी सवर गई। लखमा का कहना है कि उनके पास बड़े खेत होने से उन्हे जुताई का कार्य दूसरों के किराये के ट्रेक्टर लेकर करना पड़ा था जिसके लिए उन्हे बहुत अधिक किराया पटाना पड़ता था। साथ ही सही समय पर ट्रेक्टर उपलब्ध न हाने पर बैलो से जुताई का कार्य करना पड़ता था। जिससे बहुत अधिक समय एवं श्रम लगता था। समय पर सही काम न होने पर फसल लगाने में पिछड़ जाते थे।

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