रायपुर: शासन की सुराजी गांव योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में नरवा विकास के बेहतर परिणाम दिखाई देने लगे हैं। जिन इलाकों में बरसाती नालों में वर्षा जल के संरक्षण के लिए स्थायी संरचनाएं निर्मित किए गए हैं। उन इलाकों के भू-जल स्तर में वृद्धि के साथ-साथ सिंचाई की सुविधा भी बढ़ी है। नाले में पानी उपलब्ध होने के कारण किसान इसका उपयोग सिंचाई के लिए करने के साथ-साथ अब नगदी और दोहरी फसल का उत्पादन भी करने लगे हैं। नरवा उपचार की वजह से भूमि का कटाव भी रूका है। हरियाली में वृद्धि हुई है। छत्तीसगढ़ का सीमावर्ती जिला बलरामपुर-रामानुजगंज में 60 नालों का उपचार कराए जाने की वजह से आसपास के गांवों के भू-जल स्तर में औसतन 5-10 सेंटीमीटर की वृद्धि होने के साथ ही लगभग 1240 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई की वास्तविक सुविधा सृजित हुई है।
नरवा विकास कार्यक्रम से ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी और किसानों की खुशहाली की नई राहें खुली है। बलरामपुर जिले में कुल 60 नालों के उपचार के लिए 6 हजार 828 कार्य कराए गए, जिसमें मुख्यतः डबरी निर्माण, बोल्डर चेक, गेबियन संरचना, कन्टुर ट्रेच, कूप, मिट्टी बांध, चेकडेम, तालाब, स्टॉप डेम आदि का निर्माण शामिल हैं। इसके अंतर्गत प्रथम चरण में निर्मित 343 डबरी से 768 हेक्टेयर, 09 चेकडेम एवं 10 स्टॉपडेम से 325 हेक्टेयर वास्तविक सिंचाई क्षेत्र में वृद्वि हुई है। सात बड़े मिट्टी बांध के से 97.5 हेक्टेयर, 04 तालाब से 49.5 हेक्टेयर सिंचाई रकबा बढ़ा है। इस प्रकार कुल 373 संरचनाओं के निर्माण से कुल 1240 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र में वृद्वि हुई है। वर्षा जल से मिट्टी का कटाव रोकने के उद्देश्य से ए.सी.टी., बोल्डर चेक, गेबियन, गली प्लग, ब्रसवूड चेक, निर्माण से 28 हजार 320 घनमीटर जल का संरक्षण होने के साथ ही जल बहाव की गति को कम करने में मदद मिली है। जिले में नरवा विकास योजनांतर्गत वर्ष 2021-22 हेतु राजस्व क्षेत्र में नालों के उपचार के लिए 94 डीपीआर तैयार कर लिया गया है, जबकि वन क्षेत्र के नालों के उपचार के लिए 249 डीपीआर तैयार किया जा रहा है। उपचार के लिए चिन्हित 465 नालों का कुल कैचमेंट एरिया 2 लाख 45 हजार 254 हेक्टेयर है। नाला उपचार के दूसरे चरण में 5652 कार्य शामिल किए गए हैं, जिसमें से अब तक कुल 530 कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति दी जा चुकी है।
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