नई दिल्लीः राजधानी के आई एन ए स्थित दिल्ली हाट में जारी ट्राइब्स इंडिया आदि महोत्सव में दैनिक आधार पर लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है। इस वार्षिक आयोजन के माध्यम से क्षेत्रीय हस्तशिल्प, चित्रकला, खान-पान के व्यंजन और संस्कृति के माध्यम से देश भर की जनजातियों की समृद्ध विरासत और परंपराओं को प्रदर्शित किया जा रहा है। आदि महोत्सव में देश भर से 200 से अधिक स्टालों और लगभग 1000 कारीगरों के साथ, जातीय, रंगीन और उज्ज्वल आदिवासी उत्पादों की एक आश्चर्यजनक विशाल और विविधतापूर्ण श्रंखला है।
इनमें – पूर्वोत्तर से अतुलनीय कोकरा शैली के सुंदर दस्तकारी वाले आभूषण और बढ़िया कपड़े, बुनाई और वस्त्र, रेशम, जैसे कि माहेश्वरी, एरी, करवती काठी सिल्क की साड़ियाँ, टसर सिल्क और पश्मीना शॉल; जयपुर से मूंज घास की बनी टोकरियान और नीले मिट्टी के बर्तन और चित्रकला शामिल हैं।
इन वस्तुओं के अलावा, कोई भी पर्यटक प्राकृतिक और प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने वाले जनजातीय उत्पाद प्राप्त किये जा सकते हैं। इनमें जैविक हल्दी, सूखा आंवला, जंगली शहद, काली मिर्च, रागी, त्रिफला, और मसूर की दाल जैसे मूंग दाल, उड़द की दाल और सफेद बीन्स प्राप्त की जा सकती हैं। इसके अलावा यहाँ पर देश के विभिन्न हिस्सों की मिर्च और हल्दी भी प्राप्त की जा सकती है।
आदि महोत्सव में नौवे दिन इन जैविक और प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने वाले उत्पाद और अन्य जड़ी-बूटियों को प्रदर्शित करने वाले स्टॉल दर्शकोन के आकर्षण का केंद्र थे। महोत्सव का नौवा दिन वन धन और ट्राइफूड दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इन उत्पादों की ख़ास बात यह है कि इन्हें देश भर के वन धन केंद्रों में प्रसंस्कृत किया गया है। वास्तव में, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड जैसे राज्यों के वन धन केंद्रों के आदिवासी अपने उत्पाद को प्रदर्शित करने के लिये आदि महोत्सव में उपस्थित हैं। महुआ, आंवला, शहद, काजू, इमली, अदरक, लहसुन और अन्य फलों और सब्जियों जैसे जिंसों को प्रसंस्कृत किया जाता है और उन्हें महुआ पेय, आंवला जूस, कैंडी, शुद्ध शहद, अदरक-लहसुन पेस्ट और फल और सब्जियों के रस में परिवर्तित किया जाता है।
मेले के प्रवेश द्वार के पास किसी का भी ध्यान आकर्षित करने के लिए, वन धन प्रदर्शन केंद्र है जो एक नियमित वन धन केंद्र की गतिविधियों का वास्तविक प्रदर्शन करता है। वास्तव में, वन धन प्रदर्शन केंद्र में ताजे प्रसंस्कृत आंवले का रस प्राप्त कर सकते हैं।
पिछले एक वर्ष में वन धन आदिवासी केंद्र, आदिवासी उत्पाद इकट्ठा करने वालों और वन में रहने वाले आदिवासी कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के स्रोत के रूप में उभरे हैं। वन धन योजना के तहत देश भर में लगभग 2,000 वन धन केंद्र स्थापित किए गए हैं।
ट्राइफूड परियोजना का उद्देश्य जनजातीय वन संग्रहकर्ताओं द्वारा एकत्र किए गए छोटे वन उत्पाद-एमएफपी के बेहतर उपयोग और मूल्य संवर्धन के माध्यम से आदिवासियों की आय में वृद्धि करना है। इस परियोजना पर महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पहले ही काम शुरू कर दिया गया है।
आदि महोत्सव- जनजातीय शिल्प, कला, संस्कृति और वाणिज्य की विचारधारा का उत्सव नई दिल्ली में आईएनए पर दिल्ली हाट पर 15 फरवरी, 2021 तक सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक जारी है।
आदि महोत्सव पर जाएँ और "वोकल फॉर लोकल यानी स्थानीय के लिए मुखर" आंदोलन से जुडे! # जन जातीय उत्पाद खरीदिए।
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