नई दिल्ली: केन्द्रीय वस्तु और सेवा कर (CGST) आयुक्तालय, पूर्वी दिल्ली के अधिकारियों ने काल्पनिक फर्मों के एक नेटवर्क का खुलासा किया है, जिनका इस्तेमाल संचालक द्वारा वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) बनाने और हस्तांतरित करने के लिए किया जा रहा था। फर्जी फर्मों का नेटवर्क, विशाल नाम के व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा था, जो पेशे से वकील है और कड़कड़डूमा कोर्ट, दिल्ली में वकालत करता था।
विशाल ने अपने नाम पर एक काल्पनिक फर्म का निर्माण करके इस जीएसटी धोखाधड़ी की शुरुआत की, जिसे उन्होंने अपने निवास के नाम पर पंजीकृत करवाया। इसके बाद, उन्होंने कई फर्जी फर्मों को बनाने के लिए अलग-अलग व्यक्तियों के कई केवाईसी की व्यवस्था की। इन फर्जी फर्मों की कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी और इन्हें पूरी तरह से नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट को हस्तांतरित करने और सरकारी खजाने को ठगने के उद्देश्य से बनाया गया था। उनके आवास की तलाशी के दौरान कई केवाईसी और चेक मिले हैं। वह अपने ग्राहकों को चालान राशि के 2 प्रतिशत कमीशन के बदले में नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट हस्तांतरित करता था। अब तक फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट की कुल रकम 50.03 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिसके जांच के बढ़ने के साथ अधिक होने की उम्मीद है।
विशाल, अधिवक्ता ने सरकार को धोखा देने के लिए गहरी आपराधिक साजिश रची और सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 (1) (बी) और 132 (1) (सी) के तहत जानबूझकर अपराध किए, जो अधिनियम की धारा 132 (5)के प्रावधानों के तहत संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध हैं तथा अधिनियम की धारा 132 के उप खंड 1 के खंड (i) के तहत दंडनीय हैं। श्री विशाल को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत गिरफ्तार किया गया और 27 फरवरी, 2021 को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जिन्होंने उसे 13 मार्च, 2021 तक के लिए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मामले में आगे की जांच प्रक्रिया चल रही है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी केंद्रीय कर की स्थापना के बाद से, दिल्ली ज़ोन ने विभिन्न मामलों में 27 गिरफ्तारियाँ की हैं, जिनसे जीएसटी धोखाधड़ी की 4019.95 रुपये से अधिक की धनराशि जुड़ी हुई है।
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