नई दिल्लीः देश की राजधानी में गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर आंदोलनकारी किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड के दौरान आईटीओ, लाल किला और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में हुई हिंसा के बाद आम लोग किसानों के खिलाफ हो गए हैं। जगह-जगह स्थानीय लोग प्रदर्शन कर धरनास्थलों से किसानों को हटाने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि नए कृषि कानूनों के विरोध में लगभग दो महीनों ने यूपी गेट और गाजीपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों को हटाने के लिए पुलिस और प्रशास ने कमर कस ली है। इसके लिए धरनास्थलों के बिजली-पानी काटकर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की बढत़ी तादाद को देखकर किसान में खौफ है। किसान नेताओं ने आगे की रणनीति को लेकर आपस में बैठक कर रहे हैं।
बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बार्डर पर कहा कि हमारे साथ अत्याचार किया जा रहा है। कृषि कानून वापस नहीं हुए तो वह आत्महत्या कर लेंगे। इसके साथ ही भावुक होकर रोते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि किसान को मारने की कोशिश की जा रही है। मैं किसान को बर्बाद नहीं होने दूंगा।
उन्होंने कहा कि किसान खड़े थे, खड़े हैं, और खड़े रहेंगे जिसको जाना है वो जाने के लिए ही आए थे लड़ाई जमीन की है लड़ाई नस्लो की है। किसानों का मनोबल तोड़ने और आंदोलन को खत्म करने के लिए इस कमजोर सरकार ने पुलिस का सहारा लिया। टिकैत ने कहा, ‘‘जब किसानों से जीत ना सके तो धीरे धीरे पूरे आंदोलन को खत्म करना शुरू कर दिया। पर मत भूलो यह देश गांधी जी के साथ साथ भगत सिंह जैसे शहीदों का भी है।
दूसरी तरफ, किसान एकता मोर्चा ने ऐलान किया है कि अगर टिकैत जी की गिरफ्तारी हुई तो भर देंगे जेलें।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जबर्दस्ती से किसान आंदोलन बंद नहीं होगा। जब तक सांस चलेगी तब तक लड़ेंगे। अभी हमारी कोई योजना नहीं है। अभी हम मीटिंग करेंगे। पता नहीं सरकार क्या-क्या षड्यंत्र करती है।
Comment here
You must be logged in to post a comment.