धर्म-कर्म

क्या कभी सोचा है गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों?

गणेश जी को कभी न करें विदा, क्योंकि विघ्नहरता ही अगर विदा हो गए तुम्हारे विघ्न कौन हरेगा?  अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा-देखी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन भी करेंगे। पर आपको बता दें कि आप […]

गणेश जी को कभी न करें विदा, क्योंकि विघ्नहरता ही अगर विदा हो गए तुम्हारे विघ्न कौन हरेगा? 

अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा-देखी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन भी करेंगे। पर आपको बता दें कि आप अपने घर पर गणपति की स्थापना करें, पर विसर्जन नहीं। विसर्जन केवल महाराष्ट्र में ही होता हैं क्योंकि गणपति वहाँ एक मेहमान बनकर गये थे और मेहमान को एक न एक दिन जाना ही होता है।

क्यों मनाया जाता है गणपति उत्सव 
महाराष्ट्र में लाल बाग के राजा कार्तिकेय ने अपने भाई गणेश जी को अपने यहाँ बुलाया और कुछ दिन वहाँ रहने का आग्रह किया था। जितने दिन गणेश जी वहां रहे उतने दिन माता लक्ष्मी और उनकी पत्नी रिद्धि व सिद्धि वहीं रही। इनके रहने से लाल बाग धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया, तो कार्तिकेय जी ने उतने दिन का गणेश जी को लालबाग का राजा मानकर सम्मान दिया। यही पूजन गणपति उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। 

अब रही बात देश की अन्य स्थानों की तो गणेश जी हमारे घर के मालिक हैं और घर के मालिक को कभी विदा नही करते। वहीं अगर हम गणपति जी का विसर्जन करते हैं तो उनके साथ लक्ष्मी जी व रिद्धि-सिद्धि भी चली जायेगी, तो जीवन मे बचा ही क्या? 

हम बड़े शौक से कहते हैं- ‘गणपति बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ’ इसका मतलब हमने एक वर्ष के लिए गणेश जी लक्ष्मी जी आदि को जबरदस्ती पानी मे बहा दिया। तो आप खुद सोचो कि आप किस प्रकार से नवरात्रि पूजा करोगे, किस प्रकार दीपावली पूजन करोगे और क्या किसी भी शुभ कार्य को करने का अधिकार रखते हो, जब आपने उन्हें एक वर्ष के लिए अपने घर से भेज दिया है। 

इसलिए गणेश जी की स्थापना करें, पर विसर्जन कभी न करे। 

निवेदन – आगामी श्री गणेश चतुर्थी पर गणपति जी की पारंपरिक मूर्ति ख़रीदे, जिसमे गणेश जी के मूल स्वरुप की प्रतिकृति हो, ऋद्धि-सिद्धि विद्यमान हो।

बाहुबली गणेश, सेल्फ़ी लेते हुए, स्कूटर चलाते हुए, ऑटो चलाते हुए, बॉडी बिल्डर, बाहुबली सिक्स पैक या अन्य किसी प्रकार के अभद्र स्वरुप में गणेश जी को बिठाने का कोई औचित्य नहीं है। सनातन धर्म की हँसी उड़ाई जा रही है। अपने धर्म को हंसी का पात्र न बनायें और हमेशा पारंपरिक मूर्ति ही घर पर लायें। समझदारी का परिचय दे और सही गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना करें।

’ओम एकदंताय नमो नमः’

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