वास्तुशास्त्र के दोष दूर करने के लिहाज से भगवान गणेश की प्रतिमा बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकती है। नए घर में प्रवेश से लेकर उसमें रहते हुए आप कई तरह से गणेशजी की प्रतिमा का इस्तेमाल कर सकते है। यदि किसी भवन का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में खुलता हो तो उस द्वार की चौखट के ऊपर, बाहर व भीतरी हिस्से में गणेश जी की छोटी सी प्रतिमा लगाने से भवन का दक्षिण मुखी दोष समाप्त हो जाता है।
अगर भवन में प्रवेश करने पर आपको किसी अनजानी नकारात्मकता का बोध होता हो तो घर के भीतर बिल्कुल सामने की ओर मुख्य द्वार की ओर देखती हुई भगवान गणेश की नौ इंच की प्रतिमा लगाई जा सकती है। हर शुभ अवसर पर ऑफिस, फैक्ट्री या दुकान में श्री गणेश जी के प्रतिरूप अर्थात स्वास्तिक के चिह्ल को ताम्रपत्र या पूजा की थाली पर अंकित करके उसकी पूजा करें तो व्यापार में सहायक सिद्ध होता है।
भवन की हर दिशा में भगवान श्रीगणेश कि प्रतिमा नहीं लगाना चाहिए। बल्कि सामान्यतया इस मूर्ति या फोटो को कुछ इस प्रकार रखें कि इन्हें नमन करते समय हमारा मुख सदा पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर हो। अर्थात ऐसे में श्रीगणेश जी की तस्वीर या मूर्ति का मुख स्वत: ही दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा की ओर होगा।
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