आज है सर्व पितृ अमावस्या। सर्व पितृ अमावस्या के साथ पितृ पक्ष समाप्त होता है। जो लोग अपनी तिथि पर पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए हैं, या जिन्हें पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद नहीं है, वे सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने सभी पूर्वजों का श्राद्ध कर सकते हैं। इसे विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा आज 3 शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दौरान किए गए तर्पण, दान-पुण्य का फल कई गुना ज्यादा मिलेगा।
बन रहा है सर्वार्थसिद्धि योग
सर्वपितृ अमावस्या पर हस्त नक्षत्र है। साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध एक ही राशि में रहेंगे। ऐसे में सूर्य और बुध मिलकर बुधादित्य योग बना रहे हैं और चंद्र-मंगल मिलकर महालक्ष्मी योग बना रहे हैं। ग्रहों की यह शुभ स्थिति दान-पुण्य करने के लिए बेहद शुभ ह।. आज के दिन गंगाजल या किसी अन्य पवित्र नदी के जल को नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पितरों का तर्पण करके दान करें। इससे पितृदोष भी दूर होगा और पूर्वजों के आशीर्वाद से जिंदगी में खुशियां आएंगी।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों सूर्याेदय से शाम 4.34 बजे हस्त नक्षत्र में रहेंगे। इससे बहुत ही शुभ गजचय योग बन रहा है। इससे पहले यह बहुत ही शुभ योग वर्ष 2010 में बना था। गजचय योग में कोई भी कार्य करने से उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। कहा जाता है गजचय योग के दौरान पितरों का श्राद्ध या अन्य कोई उपाय करने से पितरों की 12 वर्ष तक तृप्ति होती है। 6 अक्टूबर के बाद यह गजचय योग 8 साल बाद यानी साल 2029 में बनेगा।
इन उपायों को करने से पूर्वज बहुत प्रसन्न होंगे
अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करने के अलावा देसी घी में बनी खीर का दान करने से पितरों को बहुत सुख मिलता है। इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए और क्षमता के अनुसार कपड़े आदि का दान करना चाहिए. इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देने जाते हैं।
सरसों के तेल का दीपक जलाएं
कहा जाता है कि पितृ अमावस्या के दिन पूर्वज पितृ लोक में लौट जाते हैं। ऐसे में शाम के समय सरसों के तेल का दीपक दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। हो सके तो 16 दीपक रखें। यदि 16 नहीं रख सकते तो पीतल का दीपक इस प्रकार जलाएं कि वह रात भर जलता रहे। कहा जाता है ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ दोष का प्रभाव काफी हद तक समाप्त हो जाता है.
पढ़ें गजेंद्र मोक्ष
पितृ पक्ष अमावस्या की शाम को दक्षिण की ओर मुख करके बैठें और दीपक जलाएं। इसके बाद गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें। पाठ की समाप्ति के बाद भगवान विष्णु का स्मरण करें और उनसे पितरों की नाराजगी को दूर करने और किसी भी प्रकार के पितृ दोष से छुटकारा पाने की प्रार्थना करें। साथ ही इस मंत्र का जाप करें ‘श्री सर्व पितृ दोष निवारणाय कलसम हु सुख शांति देहि फटः स्वाहा’।
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