धर्म-कर्म

जोधपुर का स्वयंभू पंचमुखी हनुमान मंदिर, यहां सभी पीड़ा हर लेते हैं बजरंग बली

हनुमान चालीसा में जिक्र है कि अगर आप बहुत अधिक संकट में हैं तो 8 मंगलवार हनुमान जी के दर्शन कर ले तो आपके सारे संकट दूर हो जाएंगे। जोधपुर के एक प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर हैं। इस मंदिर की विशालकाय प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह स्वयंभू हैं और पंचमुखी हनुमान (Swayambhu Panchmukhi Hanuman) जी के दर पर जो भी मत्था टेक ले उसके सभी कष्ट व पीड़ा हनुमान जी हर लेते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालु साल के सालों भी आते हैं, लेकिन मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा रहता है।

हनुमान चालीसा में जिक्र है कि अगर आप बहुत अधिक संकट में हैं तो 8 मंगलवार हनुमान जी के दर्शन कर ले तो आपके सारे संकट दूर हो जाएंगे। जोधपुर के एक प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर हैं। इस मंदिर की विशालकाय प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह स्वयंभू हैं और पंचमुखी हनुमान (Swayambhu Panchmukhi Hanuman) जी के दर पर जो भी मत्था टेक ले उसके सभी कष्ट व पीड़ा हनुमान जी हर लेते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालु साल के सालों भी आते हैं, लेकिन मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा रहता है।

100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है
मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 100 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर पहुंचने के लिए सकरी गलियों से गुजरना होता है। संकरी गलियों से गुजरते समय ब्लू सिटी का भी नजारा देखने को मिलेगा।

इस मंदिर की स्थापना जोधपुर की स्थापना से पहले हुई थी। यहां विशालकाय पंचमुखी हनुमान जी की विशाल प्रतिमा के पांव के नीचे पाताल की देवी की भी प्रतिमा है।

इस पंचमुखी हनुमान मंदिर के प्रति लोगों की आस्था ऐसी है कि वह किसी भी बीमारी में हों या किसी भी उम्र में हों, वह मंदिर जरूर आते हैं और मंदिर आकर उन्हें ऐसी शांति मिलती है, जैसे उन्होंने सब कुछ पा लिया हो। इस मंदिर में हनुमान जी को गुड़ का भोग लगाया जाता है। साथ ही पान का बीड़ा हनुमान जी को चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बीड़ा चढ़ाने से जो भी श्रद्धालु आया है, उसकी रक्षा का बीड़ा स्वयं हनुमानजी उठा लेते हैं और उसका बेड़ा पार हो जाता है।

पंचमुखी अवतार की कथा
हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार क्यों लिया था? इस अवतार को वामन अवतार भी कहा जाता है। इसके पीछे भी एक कहानी है जो धार्मिक ग्रंथों, रामायण और इतिहास में दर्ज है। भगवान राम व रावण के बीच युद्ध चल रहा था, उस दौरान रावण का एक और भाई अहिरावण जो कि पाताल में निवास करता था, भगवान श्री राम व लक्ष्मण को उठा ले गया था। उस दौरान हनुमान जी मत्स्य रूप धारण कर पाताल में पहुंचे और भगवान राम और लक्ष्मण को अहिरावण की कैद से छुड़ाया। अहिरावण के बारे में कहा जाता है कि पाताल में 5 दिए जल रहे थे। जब तक वह दिए जलते तब तक अहिरावण का कोई कुछ नहीं कर सकता था, इसलिए हनुमान जी ने पंचमुखी का अवतार लिया और एक साथ पांचों दीपक को बुझा दिया। उसके बाद अहिरावण का अंत कर विजय प्राप्त की।

धार्मिक मान्यता
दक्षिण मुखी पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने के लिए भी खास कारण है। धार्मिक ग्रंथों में पंचमुखी हनुमान जी के दर्शन और पूजा के लिए बताया गया है और किसी भी तरह के संकट में दक्षिण मुखी पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने पर सारे संकट दूर हो जाते हैं।