नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज अपनी मूल जड़ों को याद रखने तथा अपनी माता, मातृभाषा, मातृभूमि और पैतृक स्थान को सम्मान देने पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने भुवनेश्वर में राजभवन में “नीलिमारानी- माई मदर-माई हीरो” नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद जनसमूह को संबोधित करते हुए शिक्षा, न्यायपालिका तथा प्रशासन में मातृभाषा के व्यापक उपयोग की अपील की। “साझा करने एवं देखभाल करने” की सच्ची भावना में, उन्होंने सफल पुरूषों एवं महिलाओं को अपने पैतृक गांवों में रहने वाले लोगों की सहायता एवं समर्थन करने की अपील की।
लोकसभा सदस्य डॉ. अच्युत सामंत द्वारा लिखी गई पुस्तक उनकी स्वर्गीय माता श्रीमती नीलिमारानी की जीवनी है। अपनी माँ के जीवन तथा संघर्ष को शब्दों में उतारने के लिए श्री सामंत की सराहना करते हुए श्री नायडू ने कहा कि किसी माँ की जीवनी का विमोचन करना दिल को छू लेने वाली है क्योंकि यह माँ ही है जो बच्चों के पालन-पोषण तथा मूल्यों के जरिए किसी पुरूष या महिला को महान बनाती है।
श्रीमती नीलिमारानी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भीषण गरीबी तथा संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा सुनिश्चित की तथा गरीबों और वंचित लोगों के उत्थान के लिए कार्य करना जारी रखा। उन्होंने इस तथ्य पर प्रसन्नता जताई कि अपने बच्चों की सहायता से श्रीमती नीलिमारानी जी ने अपने पैतृक गांव कलाराबांका को देश में अपनी तरह के प्रथम स्मार्ट गांवों में तब्दील कर दिया। उन्हें बहुत प्रेरणादायी बताते हुए श्री नायडू ने इच्छा जताई कि दूसरे लोग भी उनका अनुसरण करें तथा अपने पैतृक स्थानों में रहने वाले लोगों की बेहतरी के लिए कार्य करें।
इस कार्यक्रम के अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल तथा लोकसभा सदस्य डॉ. अच्युत सामंत उपस्थित थे।
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