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RSS प्रमुख भागवत का दावा, CAA और NRC मुस्लिम विरोधी नहीं

नई दिल्लीः आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को असम में एक सम्मेलन में कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी न तो हिंदू विरोधी हैं और न ही मुस्लिम विरोधी – उन्हें केवल राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए धर्म से जोड़ा गया है। भागवत ने कहा, “सीएए और एनआरसी को किसी भी भारतीय […]

नई दिल्लीः आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को असम में एक सम्मेलन में कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी न तो हिंदू विरोधी हैं और न ही मुस्लिम विरोधी – उन्हें केवल राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए धर्म से जोड़ा गया है।

भागवत ने कहा, “सीएए और एनआरसी को किसी भी भारतीय नागरिक के खिलाफ नहीं बनाया गया है। एक नागरिक जो मुस्लिम होता है वह सीएए के कारण हारने वाला नहीं होगा। स्वतंत्रता के बाद के इतिहास में, नेहरू-लियाकत समझौते के दौरान, एक आश्वासन था कि अल्पसंख्यकों का ध्यान रखा जाएगा। हम अब भी अल्पसंख्यकों का ख्याल रख रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान नहीं।’’

उन्होंने तर्क दिया कि दुनिया भर में हर सरकार ‘एनआरसी’ जैसे अभ्यास के माध्यम से अपने देश की जनसंख्या प्रोफाइल का दस्तावेजीकरण करती है। एनआरसी देश में निवासियों के रूप में रहने वाले नागरिकों की जानकारी के बारे में है। हमें उन लोगों की आवाजाही के बारे में पता होना चाहिए जो वीजा के साथ मेहमान के रूप में आए हैं और जो बिना अनुमति के बाहर गए हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि एनआरसी की कवायद किसी भारतीय के हित के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसका विश्लेषण राजनीति के चश्मे से किया जा रहा है। 

भागवत ने लोगों के एक वर्ग पर एनआरसी और सीएए के इर्द-गिर्द ‘सांप्रदायिक आधार पर एक कहानी गढ़ने’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कुछ दलों ने एनआरसी-सीएए को हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बना दिया है। उन्होंने शरणार्थी समस्या की जड़ों का पता लगाने के लिए विभाजन का सहारा लिया, जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि यह अभी भी देश को सताता है।

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