नई दिल्ली: भारत के लिए, जिसे चीन और पाकिस्तान के रूप में दो मोर्चों पर दो दुश्मनों से निपटना है, तीसरे एस-400 स्क्वाड्रन (S-400 squadron) की डिलीवरी पाकिस्तान के किसी भी हमले के खिलाफ एक आश्वासन है।
जरूरत के हिसाब से या चीन से तनाव बढ़ने की स्थिति में भारत भी अपनी तैनाती पश्चिमी मोर्चे से पूर्वी मोर्चे पर शिफ्ट कर सकता है। रूस से एस-400 का पहला स्क्वाड्रन दिसंबर 2021 में और दूसरा स्क्वाड्रन अप्रैल 2022 में भारत आया था। यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में फंसने के बावजूद रूस ने फरवरी 2023 में तीसरा स्क्वाड्रन पहुंचाया।
भारतीय वायुसेना (IAF) ने पठानकोट के पास अपनी पहली एस-400 स्क्वाड्रन (S400 squadron) तैनात की है, जहां से लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड पर चीन के किसी भी हवाई हमले को रोका जा सकता है। इसी स्क्वाड्रन का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर और पंजाब पर पाकिस्तान के हवाई हमलों का जवाब देने के लिए भी किया जाएगा।
दूसरी एस-400 स्क्वाड्रन को पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है। भारतीय वायु सेना (IAF) के कर्मियों ने रूस में S-400 प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और अब सिस्टम को तैनात करने के लिए तैयार हैं।
चीन के पास अलग-अलग दूरी की कई मिसाइलें हैं, जिनका इस्तेमाल वह भारत के खिलाफ कर सकता है। पाकिस्तान ने भी चीन के सहयोग से मिसाइलों को अपने मुख्य हथियार के रूप में विकसित किया है। पाकिस्तान की अस्थिर राजनीतिक स्थिति और सेना पर कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव के कारण भारत के खिलाफ इन मिसाइलों के इस्तेमाल की आशंका बढ़ गई है।
चीन वायु रक्षा के लिए भी एस-400 प्रणाली का उपयोग करता है। इसलिए भारत को अपनी सुरक्षा के लिए इस सिस्टम की जरूरत थी। वहीं, भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों से हवाई हमले का खतरा है, इसलिए उसे एक ऐसे एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत है, जो सटीक होने के साथ-साथ लंबी दूरी की भी हो। क्योंकि चीन ने अपनी रॉकेट ताकत को ताकतवर बनाकर मिसाइलों का जखीरा काफी बढ़ा लिया है।
भारत ने रूस के साथ 2018 में 35000 करोड़ रुपए का बड़ा रक्षा सौदा किया था, जिसके तहत भारत को रूस से एस-400 के पांच स्क्वाड्रन मिलने थे। एक स्क्वाड्रन में 16 वाहन होते हैं। S-400 सिस्टम 400 किमी के क्षेत्र में ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों सहित विभिन्न प्रकार के दुश्मन के हथियारों के हमले को रोक सकता है।
एस-400 का रडार 500 किमी की दूरी से दुश्मन के हवाई हमले पर नजर रखना शुरू कर देता है और रेंज में आने पर दुश्मन की मिसाइल को नष्ट कर देता है। भारतीय वायु सेना (IAF) हवाई हमलों को रोकने के लिए इजरायल के सहयोग से विकसित एक मध्यम दूरी की मिसाइल रक्षा प्रणाली, स्वदेशी आकाश वायु रक्षा प्रणाली, MRSAM के अलावा इजरायली स्पाइडर वायु रक्षा प्रणाली का उपयोग करती है। लेकिन एस-400 के आने से भारत की वायु रक्षा लगभग अभेद्य हो गई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)