अनमोल कुमार
नई दिल्ली: भारत के सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे (Indian Army Chief Manoj Mukund Naravane) ने कहा है कि पिछले 18 महीनों में भारत की सैन्य ताकत काफी बढ़ गई है। उन्होने कहा कि लद्दाख (Ladakh) में सीमा के पास भारत (India) ने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है। उन्होंने आश्वस्त किया कि चीन (China) के साथ युद्ध (War) की स्थिति में भारत विजयी बनकर लौटेगा। बुधवार को वार्षिक आर्मी दिवस (Army Day) के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी बात रखते हुए सेना प्रमुख ने साफ किया कि युद्ध अंतिम विकल्प है और चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर बातचीत लगातार जारी है।
सेना प्रमुख नरवणे ने कहा कि जहां तक नॉर्दन फ्रंट (Northen Front) की बात है तो वहां पर पिछले 18 महीनों में हमारी सैन्य ताकत काफी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि युद्ध की स्थिति अंतिम उपाय है, लेकिन अगर युद्ध हुआ तो हम विजयी होकर लौटेंगे।
आर्मी प्रमुख ने मीडिया को उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के पास मौजूदा हालात के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि सीमा पर चीन द्वारा यथास्थिति को बदलने की कोशिशों का भारतीय सेना ने मजबूती से जवाब दिया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युद्ध की स्थिति अंतिम साधन है। उन्होंने बताया कि हमने 25,000 अतिरिक्त सेना की क्षेत्र में तैनाती की है। हम सड़क बना रहे हैं। पूल और टनल भी बना रहे हैं। हमने इंधन, तेल और गोलाबारूद भंडारण के लिए वहां व्यवस्था की है। इसके अलावा वहां अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भी आने वाले दिनों में की जाएगी। पिछले साल कई सारे कार्य किये गये हैं।
सेना प्रमुख ने कहा कि हमने जो कुछ भी किया है उसकी वजह से हम वहां बेहतर स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ एक ही तरफ फोकस नहीं कर रहे बल्कि हम पूरे उत्तरी फ्रंट पर समग्र दृष्टि रख रहे हैं। बात सिर्फ सैन्य बलों की संख्या बढ़ाने की नहीं है बल्कि हथियारों की संख्या बढ़ाने की भी है। यहां बात आधारभूत संरचना के विकास की भी है।
चीन के साथ सीमा पर शांति व्यवस्था बनाए रखने को लेकर सेना प्रमुख ने कहा कि अच्छी चीज है कि बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि हम बातचीत के जरिए इसका समाधान कर सकते हैं और यह बहुत जरूरी मैकनिज्म है। एक-दूसरे के नजरिए को समझने के लिए जरूरी है कि हमारी बातचीत जारी रहे। जब कभी हम बातचीत करते हैं तो हमारी दूरियां थोड़ी कम होती जाती हैं। वैसे हर वार्ता में कोई नतीजा निकलने की आशा रखना बेवजह है।