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भारत चीन के किसी भी अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं करेगाः विदेश मंत्रालय

नई दिल्लीः अरुणाचल प्रदेश की भारत-चीन विवादित सीमा क्षेत्रों को लेकर चीन की दिन प्रतिदिन कोई न कोई नापाक हरकतों सामने आ रहे है। हाल ही में पेंटागन की एक रिपोर्ट सामने आया है कि अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ एक गांव बसा लिया है। भारत ने इस पर अपनी […]

नई दिल्लीः अरुणाचल प्रदेश की भारत-चीन विवादित सीमा क्षेत्रों को लेकर चीन की दिन प्रतिदिन कोई न कोई नापाक हरकतों सामने आ रहे है। हाल ही में पेंटागन की एक रिपोर्ट सामने आया है कि अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ एक गांव बसा लिया है। भारत ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह चीनी ‘अवैध’ कब्जे को स्वीकार नहीं करेगा और न ही सीमा पर उसके ‘अनुचित’् दावों को स्वीकार करेगा।

सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा बसाये गांवों के निर्माण की रिपोर्टों के बारे में सवालों के जवाब में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अरिंदम बागची ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि भारत ने ष्राजनयिक माध्यमों और इच्छाशक्ति के माध्यम से इस तरह की गतिविधियों के लिए अपना कड़ा विरोध व्यक्त किया है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा, चीन ने पिछले कई वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ-साथ उन क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों को अंजाम दिया है, जिन पर उसने दशकों से अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। भारत ने न तो हमारे क्षेत्र पर इस तरह के अवैध कब्जे को स्वीकार किया है और न ही चीन के अनुचित दावों को स्वीकार किया है।

चीन ने अपने नए सीमा कानून के समानांतर पूर्वी क्षेत्र में सीमावर्ती क्षेत्रों में गांवों का निर्माण किया है, जो गांवों को युद्ध की भूमिका निभाने के लिए विकास के साथ-साथ तनाव को बढ़ाने और दोनों को रखने की क्षमता के रूप में देखा जाता है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2020 में, चीन ने चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र के अंदर एक 100-घर का नागरिक गांव बनाया। पेंटागन ने कहा, ‘‘भारत-चीन के साथ अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयास भारत सरकार और मीडिया में घबराहट का स्रोत रहे हैं।’’

भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान इस मुद्दे को कम करने की कोशिश कर रहा है। पत्रकारों की पृष्ठभूमि की प्रतिक्रिया में, रक्षा अधिकारियों ने कहा है कि ये गाँव 1959 से चीनी नियंत्रण में हैं। गांव को चीन द्वारा उस क्षेत्र में बनाया गया है, जिस पर 1959 में असम राइफल्स की चौकी पर कब्जा करने के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने कब्जा कर लिया था। 

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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