नई दिल्लीः भारतीय राष्ट्रध्वज करोडों भारतीयों के लिए राष्ट्राभिमान का विषय है। कुछ अपवाद छोडकर उसका अन्य किसी भी बात के लिए उपयोग करना कानूनन संज्ञेय एवं अप्रतिभू (गैरजमानती) अपराध है। ऐसा होते हुए भी इस संवेदनशील विषय को गंभीरता से न लेते हुए ‘रेड-बबल’ जैसे ई-कॉमर्स पोर्टल, दुकान और सडक पर 15 अगस्त के निमित्त से भारतीय राष्ट्रध्वज के रंगवाला मास्क बनाकर उनकी बडी मात्रा में बिक्री की जा रही है। उन पर राष्ट्रध्वज का अनादर करने के प्रकरण में अपराध प्रविष्ट कर कानूनी कार्रवाई की जाए, तथा ऐसे मास्क की बिक्री, उत्पादन एवं वितरण न हो, इस दृष्टि से शासन तत्काल उचित कार्यवाही करे, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के सुराज्य अभियान के माध्यम से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से की गई है।
राष्ट्रध्वज कोई सजावट करने का माध्यम नहीं है। इस प्रकार के मास्क का उपयोग करने पर छींकना, उसे थूक लगना, अस्वच्छ होना तथा अंत में उपयोग के उपरांत कचरे में डालना आदि के कारण राष्ट्रध्वज का अनादर होगा। ऐसा करना ‘राष्ट्रीय मानचिन्हों का गलत प्रयोग रोकना कानून 1950’, धारा 2 व 5 के अनुसार; तथा ‘राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971’ की धारा 2 के अनुसार व ‘राज्य प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950’, इन तीनों कानून के अनुसार दंडनीय अपराध है। अतः शासन इसका कठोरता से पालन करे, ऐसी मांग भी निवेदन द्वारा की गई है।
विगत वर्ष अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अशोकचक्र युक्त तिरंगे के 60 हजार मास्क विद्यार्थियों में वितरित किए थे। ऐसा करना ध्वजसंहिता का उल्लंघन है। अतः इस विषय में केंद्र सरकार राज्यों को मार्गदर्शक सूचना दे। वर्ष 2011 में प्रविष्ट जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने शासन को इस संदर्भ में निर्देश दिया था कि ‘शासन राष्ट्रध्वज का होनेवाला अपमान और अनादर रोके।’ तदनुसार कार्यवाही करें, ऐसी मांग समिति ने ज्ञापन द्वारा की है।
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