नई दिल्ली: देश में महंगाई का आलम ये है कि जरूरत की चीजें भी आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही है। इस बीच, पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) के दाम आसमान छू रहे हैं। ईंधन की कीमतें देश में हर दिन ताजा रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रही हैं। इसे लेकर पेट्रोलियम मंत्री (Petroleum Minister) धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने खेद जताते हुए कहा कि तेल संपन्न देशों पर ठीकरा फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि ये देश तेल के उपभोगकर्ता देशों के हितों को नहीं देख रहे हैं। तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा शनिवार को ताजा दर में वृद्धि के बाद देश के कुछ शहरों में प्रीमियम पेट्रोल (Premium Petrol) के दाम 100 रुपये के पार पहुंच गए। इन शहरों में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और राजस्थान (Rajasthan) शामिल है।
शनिवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रीमियम पेट्रोल 100 रूपये 4 पैसे की दर से बेचा गया। पुराने पेट्रोल पंपों पर बिक्री रोकनी पड़ी, क्योंकि दाम जब तीन डिजिट पर पहुंचे तो मशीन ने आउटपुट देना बंद कर दिया। जानकारी के अनुसार अगर पेट्रोल के दाम 100 रूपये या उससे ऊपर जाते हैं। तो पूरे देश में कई जगह पेट्रोल की बिक्री रोकनी पड़ सकती है।
अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की महंगाई को सरकारें भले ही दुहाई दे रही हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हम 29 रुपये 34 पैसे लीटर वाले पेट्रोल की कीमत 88 रुपये से अधिक चुका रहे हैं। वहीं डीजल की बात करें तो इसका बेस प्राइस दिल्ली में एक फरवरी को केवल 30 रुपये 55 पैसे था, जबकि इस दिन मार्केट में यह 76 रुपये 48 पैसे लीटर बिक रहा था।
प्रधानमंत्री मोदी ने दो दिन पूर्व राज्यभा में तेल कीमतें कम नहीं कर पाने को लेकर लाचारी जताई थी। शनिवार को उन्होंने खेद जताते हुए तेल संपन्न देशों को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि तेल संपन्न देशों ने एक कृत्रिम मूल्य प्रणाली बना ली है, यह उपभोग करने वाले देशों के लिए सही नहीं है।
हिन्दुस्तान के मुताबिक, भारत में डीजल और पेट्रोल पर केंद्र सरकार जहां एक्साइज ड्यूटी के रूप में हर लीटर पर 32 रुपये से अधिक वसूलती है तो राज्य सरकारें वैट और उपकर लगाकर लोगों की जेब से अपना खजाना भर रही हैं। इसके अलावा दोनों तेलों पर भाड़ा और डीलर का कमीशन भी जुड़ता है, जो आम जनता से ही लिया जाता है।
वैट वसूलने के मामले में मणिपुर सबसे आगे हो गया है। यहां पेट्रोल पर 36.50 प्रतिशत और डीजल पर 22.50 प्रतिशत टैक्स वसूला जा रहा है। बड़े राज्यों में तमिलनाडु में पेट्रोल पर 15 प्रतिशत और डीजल पर 11 प्रतिशत टैक्स वसूला जाता है, लेकिन यहां वैट के साथ पेट्रोल पर 13.02 रुपए और डीजल पर 9.62 रुपए प्रति लीटर सेस (उपकर) भी वसूला जाता है। ज्यादातर राज्य सेस वसूल रहे हैं। लक्षद्वीप एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां वैट नहीं लिया जाता है।
तेल से केंद्र भर रहा अपना खजाना
पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर केंद्र सरकार ने 2019-20 में 3.34 लाख करोड़ रुपए कमाए। मई 2014 में पहली बार जब मोदी सरकार बनी थी तब 2014-15 में एक्साइज ड्यूटी से 1.72 लाख करोड़ कमाई हुई थी, यानी सिर्फ 5 सालों में ही ये दोगुनी हो गई।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को संसद को बताया था कि तेल कीमतों के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई से कम करने के लिए सरकार, उत्पाद शुल्क में कमी करने के बारे में विचार नहीं कर रही है। उन्होंने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें बढ़ गई हैं क्योंकि मांग में सुधार को देखते हुए एक वर्ष से भी अधिक समय में पहली बार कच्चतेल की कीमत 61 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई पर जा पहुंचा है तथा कोविड-19 टीकों के वैश्विक स्तर पर बाजार में लाया गया है। खुदरा बिक्री मूल्य के पेट्रोल कीमत का 61 फीसद और डीजल कीमत पर 56 फीसद से अधिक भाग तो केंद्रीय और राज्य करों का होता है।
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