नई दिल्ली: विंग कमांडर वरुण सिंह (27987) फ्लाइंग (पायलट) एक हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) स्क्वाड्रन में पायलट हैं। 12 अक्टूबर 2020 को वरुण लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के साथ उड़ान पर थे। वह अपने मूल बेस से दूर थे तभी फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) और प्रेशराइजेशन सिस्टम (लाइफ सपोर्ट एनवायरनमेंट कंट्रोल सिस्टम) में खराबी आ गई।
उड़ान के दौरान, ऊंचाई पर पहुंचने पर उन्हें कॉकपिट में खराबी का पता चला। उन्होंने विमान में आई खराबी को सही तरीके से पहचान की और लैंडिंग के लिए कम ऊंचाई पर उतरने का फैसला किया। विमान को ऊंचाई से नीचे लाते समय फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) पूरी से ठप हो गया जिससे उनका विमान पर नियंत्रण पूरी तरह से समाप्त हो गया। यह एक अभूतपूर्व खराबी थी जो पहले कभी नहीं हुई थी। एफसीएस में खराबी आने से विमान तेजी से नीचे आ गया, जबकि सामान्य हालात में ऐसा नहीं होता है। इस विकट स्थिति में भारी जान-माल के नुकसान होने की आंशका के चलते अत्यधिक शारीरिक और मानसिक तनाव में होने के बावजूद, उन्होंने अनुकरणीय संयम बनाए रखा और विमान पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लिया। इस तरह उन्होंने असाधारण उड़ान कौशल का प्रदर्शन किया। हालांकि, इसके तुरंत बाद, लगभग 10,000 फीट पर, विमान का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम फिर से काम करना बंद कर दिया और विमान फिर से कंट्रोल से बाहर हो गया। आमतौर पर ऐसी स्थिति में पायलट अपनी जान बचाने के लिए विमान से कूद जाते हैं लेकिन वरुण ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने अपनी जिंदगी को दाव लगाकर उस संकट के समय को सामना करते हुए, उन्होंने लड़ाकू विमान को सुरक्षित रूप से उतारने के लिए असाधारण साहस और कौशल का प्रदर्शन किया। उन्होंने पायलट ड्यूटी से हटकर अपना जीवन की परवाह नहीं करते हुए विमान को सफलता पूर्वक लैंड कराया। इससे सेना के लिए स्वेदशी रूप से डिजाइन किए गए लड़ाकू विमान में अचानक आई खराबी की जांच एवं रिसर्च करने का अवसर भी मिल गया है।
वरुण ने बेहतरीन कौशल, संयम और त्वरित निर्णय लेकर, यहां तक कि अपने जीवन को जोखिम में डालकर, उन्होंने न केवल एक एलसीए के नुकसान को टाला, बल्कि नागरिक संपत्ति और जमीन पर भारी आबादी की रक्षा भी की।
असाधारण वीरता के इस कार्य के लिए विंग कमांडर वरुण सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाता है।
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