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उद्धव-शिंदे विवाद पर सुप्रीम फैसला!

उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब मामले की सुनवाई पांच जजों की बड़ी बेंच करेगी। SC ने शिवसेना राजनीतिक विवाद में उद्धव और शिंदे गुटों की तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ दायर 7 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुटों की ओर से दायर याचिकाओं को पांच जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया। ये याचिकाएं पार्टी में विभाजन, विलय, दलबदल और अयोग्यता जैसे संवैधानिक मुद्दों से संबंधित हैं।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली तीन जजो की बेंच ने मामले को पांच जजो की बेंच के पास भेज दिया और कहा कि इन याचिकाओं में महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं। इन मामलों को 25 अगस्त को संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।

बेंच चुनाव आयोग की कार्यवाही से संबंधित चुनाव चिन्ह के बारे में फैसला करेगी। उद्धव ठाकरे गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से शिंदे के दावे पर फैसला लेने से चुनाव आयोग को रोकने की मांग की। बेंच ने कहा कि चुनाव आयोग संविधान पीठ के आदेश का इंतज़ार कर ले।

पीठ ने कहा कि संविधान पीठ को अयोग्यता पर कार्यवाही शुरू करने के लिए डिप्टी स्पीकर के अधिकार के संबंध में नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर के मामले में लिए गए निर्णय पर गौर करना होगा। बेंच ने कहा कि अयोग्यता की कार्यवाही शुरू करने के लिए डिप्टी स्पीकर के अधिकार को उजागर करना महत्वपूर्ण है।

तीन जजों की बेंच ने कहा कि बड़ी बेंच को सवालों पर गौर करने की जरूरत है। दसवीं अनुसूची के पैरा 3 को हटाने का क्या प्रभाव है? स्पीकर की शक्ति का दायरा क्या है? पार्टी में दरार होने पर चुनाव आयोग की शक्ति का दायरा क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को उद्धव ठाकरे को राहत देते हुए चुनाव आयोग से कहा था कि वो एकनाथ शिंदे गुट की उस अपील पर फैसला नहीं दे, जिसमें उसे असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने की मांग की गई है।

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों की बगावत और उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे से पैदा हुई स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं. इन याचिकाओं में शिंदे कैंप के 16 विधायकों की अयोग्यता, एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के निमंत्रण, सदन में नए स्पीकर के चुनाव की गलत प्रक्रिया जैसे कई मसले उठाए गए हैं