
नई दिल्लीः कोविड-19 की तीसरी लहर के बारे में कहा जा रहा है कि यह बच्चों को प्रभावित करेगी, लेकिन ऐसा नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोई जैविक कारण नहीं है कि तीसरी कोविड लहर बच्चों पर ज्यादा असर करेगी, ये केवल काल्पनिक बातें थीं। विशेषज्ञों के इस बयान से बच्चों के अभिभावकों को राहत मिलेगी।
टाइम्स ग्रुप के प्रोटेक्ट यूपी – ‘माई मास्क माई जैब’ अभियान के हिस्से के रूप में आयोजित वेबिनार में बोलते हुए, विशेषज्ञ कोविड-19 महामारी, इसकी रोकथाम और प्रबंधन से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक साथ आए। जून में शुरू हुए इस अभियान के लिए टाइम्स ग्रुप ने उत्तर प्रदेश सरकार से हाथ मिलाया था।
‘कोविड-19 थर्ड वेवः प्रिवेंशन एंड प्रिपेयर्डनेस मैटर्स’ शीर्षक वाले वेबिनार में इंटरनेशनल पीडियाट्रिक एसोसिएशन के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ नवीन ठक्कर ने कहा, ‘‘कोई जैविक कारण नहीं है कि तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी। इसका कोई कारण नहीं है कि बच्चे के संक्रमित होने से वयस्क को खतरा, यह हमेशा उल्टा होता है।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चे निश्चित रूप से महामारी के अंत में हैं, लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि नियमित टीकाकरण प्रभावित होता है, स्कूल छूट जाता है और मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों में संक्रमण गंभीर नहीं है और वे ज्यादातर लक्षणहीन हैं।’’
कोविड-उपयुक्त व्यवहार के अलावा, लोगों को यह बताने की आवश्यकता है कि उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आईआईटी-कानपुर के प्रोफेसर राजेश रंजन ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक जो हमें लोगों को बताने की जरूरत है, वह यह है कि टीकाकरण से संक्रमण का खतरा कई गुना कम हो जाता है। एक व्यक्ति जिसे टीका लगाया गया है, उसे संक्रमण हो सकता है, लेकिन यह गंभीर नहीं होगा।’’
दूसरी लहर की भविष्यवाणी करने के लिए शोध करने वाले आईआईटी-के में रंजन की टीम ने कहा, ‘‘हमें यह नहीं कहना चाहिए कि तीसरी लहर नहीं आएगी। अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और रूस में अब तक वायरस की कई लहर आ चुकी हैं। यह वायरस अजीब है।’’
तीसरी लहर से निपटने के सुझावों पर, उन्होंने कहा कि 18 से 59 वर्ष की आयु के लोगों को अधिक जोखिम होता है और उन्हें टीकाकरण की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे शोध से पता चला है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के 40 प्रतिशत लोगों में झुंड प्रतिरक्षा विकसित हुई थी, जबकि 18 से 59 वर्ष की आयु के लोगों में 25 प्रतिशत झुंड प्रतिरक्षा थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम मानते हैं कि राज्य में अब तक कम से कम 30 प्रतिशत ने प्रतिरक्षा विकसित कर ली है, तो तीसरी लहर की भविष्यवाणी अक्टूबर के आसपास की जा सकती है।’’
(एजेंसी इनपुट के साथ)


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