नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को यहां 11वें वार्षिक चिकित्सा शिक्षक दिवस पुरस्कार समारोह में बोलते हुए कहा कि सरकारी क्षेत्र में डॉक्टरों को पहली पदोन्नति देने से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से पांच साल की सेवा अनिवार्य की जानी चाहिए।
नायडू ने कहा कि देश की 60 फीसदी आबादी गांवों में रहती है और डॉक्टरों को लगन से देश की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, जब आप दुविधा में हों तो हमेशा उच्चतम स्तर की नैतिकता का पालन करें। यदि आप निस्वार्थ समर्पण की भावना से सेवा कर सकते हैं, तो आपको असीम और वास्तविक खुशी मिलती है।’’
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने बेहतर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया है और राज्य सरकारों से इस पहलू पर विशेष ध्यान देने को कहा है। उन्होंने देश में डॉक्टर-रोगी अनुपात में अंतर को पाटने के सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ के 11,000 के मानक के मुकाबले डॉक्टर-रोगी अनुपात 11,456 है।
उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि चिकित्सा शिक्षा और उपचार दोनों सस्ती और आम आदमी की पहुंच के भीतर होनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि बजट के अधिक आवंटन के साथ चिकित्सा शिक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया का जिक्र करते हुए, उन्होंने मेडिकल कॉलेजों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके पोर्टल से पास होने वाले लोग नवीनतम निदान और उपचार प्रणालियों से अवगत रहें।
उन्होंने कहा, ‘‘यह SARS-CoV-2 के कारण होने वाली महामारी के मद्देनजर और अधिक अनिवार्य हो गया है क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के बारे में सब कुछ वैज्ञानिकों से लेकर डॉक्टरों तक सभी के लिए नई सीख है।’’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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