नई दिल्लीः हेडिंग्ले में तीसरे टेस्ट के पहले दिन भारतीय बल्लेबाजों की नाकामी साफ दिखाई दी। यह भारतीयों की गैरजिम्मेदाराना बल्लेबाजी और इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन की महारत की महारथ थी, जो आगंतुकों के लिए एक डरावनी घटना साबित हुआ। ऐसा लगा कि दूसरे टेस्ट की जीत के बाद टीम इंडिया ने अपनी गल्तियां सुधारने का प्रयास ही नहीं किया और मौज-मस्ती में डूबे रहे। जिसका खामियाजा उन्हें तीसरे टेस्ट में उठाना पड़ा। पूरी टीम मात्र 78 रन पर ऑल आउट हो गई। टीम की हालत इतनी पतली थी कि सिर्फ दो बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा पार कर पाए। भारतीय बल्लेबाजी को देखकर ऐसा लग रहा था कि आठ दिनों की छुट्टी के बाद वो खेलना ही भूल गये हैं।
बता दें कि पहली पारी में 78 रन पर ऑलआउट होने के बाद भारतीय गेंदबाज पूरे दिन में इंग्लैंड का एक विकेट भी नहीं निकाल सके। ऐसा टेस्ट क्रिकेट में मात्र तीसरी बार हुआ है, जब किसी टीम ने विपक्षी टीम को मैच के पहले दिन ऑलआउट कर दिया हो और बाद में पूरे दिन बिना किसी नुकसान के बल्लेबाजी करते हुए पहले पारी में बढ़त हासिल की। इससे पहले ऐसा ही कुछ 11 साल पहले हुआ था। उस समय इंग्लैंड ने ही ऑस्ट्रेलिया को मेलबर्न में 98 रनों पर ऑलआउट किया और बाद में दिन का खेल खत्म होने तक बिना किसी नुकसान के 157 रन बनाए। ऐसा सबसे पहले 21 साल पहले हुआ था, जब कीवी टीम ने मैच के पहले ही दिन पाकिस्तान को 104 रनों पर ऑलआउट करने के बाद बिना विकेट गंवाए 160 रन बनाए थे।
बता दें कि लॉर्ड्स में शानदार जीत के बाद भारत का पिछले 34 साल में पहले दिन पिच पर सबसे कम स्कोर है। भारतीय टीम पिछली बार पहले दिन की पिच पर 100 रन से कम के स्कोर पर 1987 में आउट हुई थी, जब नई दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर वेस्टइंडीज ने दिलीप वेंगसरकर की अगुआई वाली भारतीय टीम को सिर्फ 75 रन पर ढेर कर दिया था। हैडिंग्ले में भारत की ओर से सिर्फ सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा और उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे ही दोहरे अंक तक पहुंचने में सफल रहे। टीम की ओर से इसके बाद सबसे बड़ा योगदान 16 रन के साथ एकस्ट्रा रनों का रहा।
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