नई दिल्लीः साउथेम्प्टन में आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के छठे और आखिरी दिन भारतीय टीम को निराशाजनक प्रदर्शन का खामियाजा उठाना पड़ा। भारतीय टीम को न्यूजीलैंड के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। न्यूजीलैंड की टीम हर लिहाज से भारतीय टीम पर भारी पड़ी। हालांकि, भारतीय बल्लेबाजों के फ्लॉप होने की वजह से भारत इस मैच में बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रहा और एक शर्मनाक हार झेलनी पड़ा। भारतीय टीम का दूसरी पारी में बैटिंग में प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। पूरी टीम 170 रन पर आॅल आउट हो गई। न्यूजीलैंड को लगभग 60 ओवरों में मात्र 139 रन का टारगेट मिला, जिसे उन्होंने 45.5 ओवर में महज 2 विकेट गंवाकर ही हासिल कर लिया। इस तरह भारत को 8 विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा। भारत को मिली इस शर्मनाक हार में कप्तान विराट कोहली, चेतेश्वर पुराजा के साथ तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह विलेन बनकर सामने आए। बैटिंग, बालिंग और फिल्डिंग में भी भारत फिसड्डी साबित हुआ।
रिजर्व डे में खेलने उतरी भारतीय टीम ने दो विकेट पर 45 रन से आगे खेलना शुरू किया। लेकिन कप्तान कोहली ने गैरजिम्मेदाराना बैटिंग करते हुए जेमिंसन की बाहर जाती बाॅल पर अपना बैट लगा और एक आसान सा कैच विकेटकीपर के हाथों में दे बैठे। उन्होंने मात्र 13 रन बनाए। उसके बाद चेतेश्वर पुजारा जोकि द्रविड के बाद टीम इंडिया की ढाल कहे जाते हैं, 15 रन बनाकर चलते बने। दोनों ही पारियों में पुजारा फ्लाॅप रहे। उपकप्तान अजिक्य रहाणे कुछ देर तक क्रीज पर रिषभ पंत के साथ डटे रहे। लेकिन वह भी ज्यादा देर नहीं टि सके और 15 रन बनाकर बोल्ट की गेंद पर आउट हो गये। रिषभ पंत भी लय में नहीं नजर आए। हालांकि अकेले एक वहीं बल्लेबाज रहे जो अंत तक अकेले ही न्यूजीलैंड के गेंदबाजों के आगे संघर्ष करते नजर आए। उन्होने 88 गेंदे खेलकर 41 रन बनाए। दूसरा कोई भी बल्लेबाज न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों के आगे नहीं टिक सका और पूरी टीम 170 रन बनाकर आउट हो गई। न्यूजीलैंड की ओर से टिम साउदी ने 4 विकेट लिए।
न्यूजीलैंड की पारी में कप्तान केन विलियम्सन 89 गेंदों पर आठ चैकों की मदद से 52 रन और रॉस टेलर 100 गेंदों पर छह चैकों की मदद से 47 रन बनाकर नाबाद रहे। इनके अलावा डेवोन कॉनवे ने 19 और टॉम लाथम ने नौ रनों का योगदान दिया। भारत की ओर से रविचंद्रन अश्विन ने दो विकेट लिए। न्यूजीलैंड ने इससे पहले साल 15 अक्टूबर 2000 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी, लेकिन उन्होंने अब डब्ल्यूटीसी के पहले संस्करण को जीत इतिहास रचा। गजब संयोग ये है कि उस वक्त भी खिताबी मुकाबले में न्यूजीलैंड ने भारत को ही मात दी थी।
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