
नई दिल्लीः भारत में रैगिंग (Ragging) के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं और सजा का भी प्रावधान है, लेकिन फिर भी रैगिंग की घटनाएं होती ही रहती हैं। ऐसी ही एक घटना में सन् 2013 में भोपाल (Bhopal) में एक फार्मेसी कॉलेज (Pharmacy College) की एक छात्रा ने रैगिंग से तंग आकर खुदखुशी (Suicide) कर ली थी। जिसके लिए मध्य प्रदेश की एक अदालत ने अब अपने साथी छात्रा की खुदकुशी करने के आरोप में चार महिलाओं को पांच साल की जेल की सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि 18 वर्षीय महिला को उसके सीनियरों द्वारा मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। जिसके बाद उसने 6 अगस्त, 2013 को भोपाल में पीएनटी के पास अपने घर में आत्महत्या कर ली।
पीड़िता ने अपने सुसाइड नोट में चार छात्रों के नामों का उल्लेख किया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया की अदालत ने आज चार महिलाओं – देवांशी शर्मा, कीर्ति गौड़, दीप्ति सोलंकी और निधि मगरे को आत्महत्या के लिए दोषी ठहराया और पांच साल की जेल की सजा सुनाई और प्रत्येक को 2,000 का जुर्माना भी लगाया ।
मध्यप्रदेश की अदालत के न्यायाधीश ने कहा, ‘‘होनहार सपने के साथ, प्रतिभाशाली और सक्षम बच्चे विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों में जाते हैं। लेकिन रैगिंग की यातना के कारण अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं। ऐसी परिस्थितियों में, छात्रों के साथ-साथ उनके माता-पिता के सपने भी चकनाचूर हो जाते हैं।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)


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