नई दिल्लीः अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) की आरएसएस चीफ (RSS Chief) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) से विधानसभा चुनावों (Assembly election) से पहले मुलाकात ने बंगाल (Bengal) की राजनीति (Politics) में हलचल मचा दी है। हालांकि मिथुन ने साफ किया कि यह इस मुलाकात को राजनीति से जोड़कर बिल्कुल भी न देखा जाए। राजनीति से इसका दूर-दूर तक कोई भी लेना-देना नहीं है। यह केवल एक आध्यात्मिक मुलाकात थी।
मिथुन चक्रवर्ती की राजनीतिक विचारधारा उनके शुरुआती दौर में दिए गए तर्क का अनुसरण करती है। गौरांग, जिन्होंने 1960 के दशक में बंगाल में बड़े होने वाले किशोर ने खुद को मिथुन के रूप में स्थापित किया। बाद में उन्हें नक्सली आंदोलन की विचारधारा से प्यार हो गया।
इस तरह के अति वामपंथी वैचारिक झुकाव के साथ, मिथुन बसु के नेतृत्व वाले बंगाल के सत्तारूढ़ डिस्पेंस के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हुए वामपंथ की राजनीतिक मुख्यधारा में स्थानांतरित हो गए। बाद में, वह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के बीच हुई एक बैठक ने पूर्व टीएमसी सांसद के बंगाल चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है। मिथुन चक्रवर्ती ने शारदा चिट-फंड घोटाले में उनका नाम आने के बाद दो साल में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी सेवाओं के लिए कंपनी से प्राप्त राशि को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के खाते में 1.2 करोड़ रुपये जमा किए।
स्वास्थ्य के आधार पर राज्यसभा सांसद के रूप में इस्तीफा देने के बाद, मिथुन चक्रवर्ती आरएसएस की ओर झुक गए। अपनी 2019 की नागपुर यात्रा के बाद, आरएसएस के अधिकारियों ने कहा था कि मिथुन ने संगठन के मुख्यालय का दौरा किया, क्योंकि उन्होंने ‘‘संघ के काम के बारे में सीखना शुरू कर दिया है’’ और कहा कि ‘‘वह आरएसएस की समाज की प्रतिबद्धता से प्रभावित थे।’’
मिथुन चक्रवर्ती के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर टिप्पणी करते हुए, पार्टी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, ‘‘यदि वह पार्टी में शामिल होना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है। वे बंगाल में बहुत सम्मानित व्यक्ति हैं और लोग उन्हें बहुत पसंद करेंगे।’’
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