
नई दिल्लीः कोरोना की दूसरी लहर में देश में हाहाकार मचा हुआ है। तमाम शहरों में ऑक्सीजन से लेकर बेड तक की किल्लत देखने को मिल रही है। इस बीच नागपुर में आरएसएस के एक 85 साल के बुजुर्ग स्वयंसेवक ने मिसाल पेश की। बुजुर्ग नारायण भाऊराव दाभाडकर ने यह कहते हुए एक युवक के लिए अपना बेड खाली कर दिया कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी जी ली है, लेकिन उस व्यक्ति के पीछे पूरा परिवार है। उसके बच्चे अनाथ हो जायेंगे। बेड छोड़ने के 3 दिन बाद ही नारायण राव का देहांत हो गया। अब ये खबर वायरल हो रही है। आरएसएस के स्वयंसेवक नारायण राव दाभाडकर की इस त्याग पर मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट किया है।
इस खबर के वायरल होने पर हजारों लोगों ने ट्विटर पर दाभाडकर को श्रद्धांजलि दी है। दरअसल नारायण राव दाभाडकर कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हुए थे। उनका ऑक्सीजन लेवल घटकर 60 तक पहुंच गया था। इसके देखते हुए उनके दामाद और बेटी ने उन्हें इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में एडमिट कराया गया था। लंबी जद्दोजहद के बाद नारायण राव को बेड भी मिल गया था। इस बीच एक महिला रोती हुई आई, जो अपने 40 वर्षीय पति को लेकर अस्पताल लाई थी। महिला की बेड के लिए करुण पुकार सुनकर नारायण राव का मन द्रवित हो उठा और उन्होंने अपना ही बेड देने की पेशकश कर दी।
नारायण राव दाभाडकर के आग्रह पर अस्पताल प्रशासन ने उनसे कागज पर लिखवाया कि वह दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से अपना बेड खाली कर रहे हैं। दाभाडकर ने यह स्वीकृति पत्र भरा और घर लौट आए। इसके तीन दिन बाद ही उन्होंने संसार को अलविदा कह दिया।
मानवता के लिए जीवन समर्पित करने वाले नारायण राव की तारीफ करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, ‘‘दूसरे व्यक्ति की प्राण रक्षा करते हुए श्री नारायण जी तीन दिनों में इस संसार से विदा हो गये। समाज और राष्ट्र के सच्चे सेवक ही ऐसा त्याग कर सकते हैं, आपके पवित्र सेवा भाव को प्रणाम!’’

इसके साथ ही एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘‘मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।’’ ऐसा कह कर कोरोना पीड़ित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज को दे दिया।’’



Comment here
You must be logged in to post a comment.