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हिंदी साहित्य भारती असम शाखा का गठन

जोनाईः देश के अन्य भागों के साथ ही असम प्रांत में भी ‘हिंदी साहित्य भारती असम शाखा का गठन किया गया। तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनंत कुमार नाथ की अध्यक्षता में गठित किया गया। जिसमें अवकाश प्राप्त प्रोफेसर अनंत कुमार नाथ को अध्यक्ष बनाया गया है। धेमाजी जिले […]

जोनाईः देश के अन्य भागों के साथ ही असम प्रांत में भी ‘हिंदी साहित्य भारती असम शाखा का गठन किया गया। तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनंत कुमार नाथ की अध्यक्षता में गठित किया गया। जिसमें अवकाश प्राप्त प्रोफेसर अनंत कुमार नाथ को अध्यक्ष बनाया गया है। धेमाजी जिले के मरिधल महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. जोनाली बरुवा को महामंत्री का दायित्व दिया गया है। असम प्रदेश के अनेक अध्यापक व अध्यापिकाओं , हिंदी प्रेमी एवं साहित्य अनुरागी इस संस्था से जोड़ा गया हैं। असमिया साहित्य, संस्कृति को वैश्विक पटल पर ले जाने में यह अंतरराष्ट्रीय मंच अवश्य ही सहायक सिद्ध होगा। समृद्ध असमिया साहित्य एवं साहित्यकारों का परिचय अनुवाद के माध्यम से देश-विदेश में कराया जा सकेगा और विश्व साहित्य की उत्कृष्ट रचनाओं को असमिया भाषा में लाया जा सकेगा। 

अपनी स्थापना के गौरवपूर्ण एवं सफल एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हिंदी साहित्य भारती की देश विदेश स्थित सभी छोटी-बड़ी शाखाओं द्वारा आगामी 11 जुलाई को अपने अपने स्तर पर संवाद मेल आयोजित की जाएगी अथवा प्रेस विज्ञप्ति जारी की जाएगी। इस अवसर पर केंद्रीय, (अंतरराष्ट्रीय) विदेश कार्यकारिणी और विदेश संयोजकों की सूची घोषित किए जाने के साथ साथ और संस्था के आगामी दिनों के कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला जाएगा।

भारत के गौरवशाली साहित्य और सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने के महान उद्देश्य को लेकर गठित अंतरराष्ट्रीय संस्था हिंदी साहित्य भारती ने अपनी स्थापना के महज एक वर्ष में ही देश-विदेश के साहित्य प्रेमियों को एक साझा मंच प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ॰ रवीन्द्र शुक्ल तथा उनके साथ देश के अनेक विद्वानों ने हिंदी भाषा और साहित्य के उत्थान का संकल्प लेकर 15 जुलाई 2020 को ‘हिंदी साहित्य भारती’ नामक संस्था का गठन किया।  अपनी स्थापना के एक  वर्ष के अंदर ही संस्था ने अपनी जड़ें पूर्वोत्तर भारत सहित देश के कोने-कोने में फैला लेने के साथ ही विदेशों में भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुल 35 देशों में ‘हिंदी साहित्य भारती’ सक्रिय है और भारत के 27 राज्यों में विधिवत रूप से गठित कार्यकारिणी समितियाँ सांगठानिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। 

साहित्यिक चर्चा एवं इसकी समृद्धि की अपनी प्रतिबद्धता के तहत संस्था के द्वारा 14 सितंबर से 14 अक्टूबर 2020 के दौरान ‘हिंदी मास व्याख्यानमाला’ का आयोजन किया गया था।  ऑनलाइन माध्यम से आयोजित व्याख्यान शृंखला में प्रतिदिन अलग-अलग विद्वानों ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर रोचक एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिए। इन कार्यक्रमों के अलावा संस्था द्वारा पुस्तक समीक्षा, महापुरुषों की जयंती और युवा साहित्यकारों के लिए साहित्य प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। 

हिंदी साहित्य भारती के साथ देश के अनेक पूर्व राज्यपाल, कई विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति, प्राचार्य, प्रोफेसर, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के साथ-साथ अनेक साहित्यानुरागी समर्पण भाव से जुड़े हुए हैं।

देश में हिंदी को उचित सम्मान और अधिकार दिलाना, देश की सभी प्रांतीय भाषाओं के साथ-साथ हिंदी की महत्ता को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करना, भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक मंच प्रदान करना और साहित्यकारों की आर्थिक मदद, विश्व के तमाम हिंदी साहित्यकारों को एक मंच पर लाना, मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाना तथा देश के बौद्धिक वातावरण को प्राथमिकता देना ही संस्था के प्रमुख उद्देश्य हैं। 

अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु ‘हिंदी साहित्य भारती’ द्वारा राष्ट्र वंदन, अतीत का अभिनंदन, राष्ट्र वंदन, वर्तमान का अभिनंदन, राष्ट्र वंदन, कवि अभिनंदन आदि शीर्षकों के तहत कार्यक्रम आयोजित करने के अलावा पत्र लेखन अभियान, प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रासंगिक विषयों पर संगोष्ठी आदि का आयोजन भी किया जाता है।

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