शिकायत के नौ महीने बाद भी कार्रवाई नहीं करने का आरोप, भारतीय स्टेट बैंक की क्षेत्रीय कार्यालय ने भी साधी चुप्पी
जोनाई: धेमाजी जिला के जोनाई महकमा सदर स्थित भारतीय स्टेट बैंक की जोनाई शाखा में शाखा प्रबंधक पंकज कुमार सिंह के कार्यकाल में किसान क्रेड़िट कार्ड (केसीसी) ऋण के वितरण में व्यापक धांधली का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद पिछले 01 मार्च 2021 को मनोज कुमार प्रजापति, अमित कुम्बांग और सुरज कुमार पांडेय द्वारा किसान क्रेड़िट कार्ड (केसीसी) ऋण के वितरण के संदर्भ में एक शिकायत उक्त शाखा के प्रबंधक को दिया गया था। साथ ही उक्त दिन इस शिकायत पत्र की प्रतिलिपी जोनाई के महकमाधिपति, जोनाई चक्राधिकारी तथा आनलाइन के जरिए धेमाजी जिला उपायुक्त, भारतीय स्टेट बैंक के ईटानगर स्थित क्षेत्रिय प्रबंधक को भी प्रेषित किया गया था । विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के जोनाई शाखा से पिछले 18 फरवरी 2021 को बैंक के कर्मचारी ग्यंता कुमार देवरी के केश कांउटर से पहली किस्त के तौर पर भुगतान किया गया है। इस केसीसी ऋण के संदर्भ में शिकायतकर्ताओं ने तह पर पहुंचने की कोशिश की तो कई सनसनीखेज खुलासा देखने को मिला । इस स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के फिल्ड आफिसर , कैशियर से लेकर ब्रांच मैनेजर सभी लोगों के मिलीभगत में अवैध रूप से ऋण आवंटन किया गया है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिस व्यक्ति ने बैंक कर्मचारियों के मिलीभगत में बड़े ही चतुराई से मनोज कुम्बांग पिता भद्रेश्वर कुम्बांग के नाम पर दो नंबर ताराजान गांव के एक नंबर लाट की 302 दाग नंबर और म्यादी नंबर 167 का कुल आठ बिघा जमीन का जमाबंदी कपी को कम्प्यूटर से सम्पादित कर फर्जी कागजात तैयार किया और फर्जी तरीके से बैंक के भ्रष्टाचारी कर्मचारियों के मिलीभगत से केसीसी ऋण ले लिया।
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है कि ताराजान गांव का एक नंबर लाट , जमीन की म्यादी नम्बर 167 और दाग नंबर 302 ही सम्पादित कर दिखाया गया है। मगर लाट नंबर , म्यादी नंबर और दाग नंबर अलग-अलग होने चाहिेए । मगर रूपये के लालची बैंक कर्मचारियों ने सरकारी पैसे का दुरपयोग किया है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर सही तरीके से इस भारतीय स्टेट बैंक की जोनाई शाखा में भ्रष्टाचारी कर्मचारियों को छुट्टी देकर जांच पड़ताल करने पर शाखा में अनगिनत लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से कागजातो के साथ छेड़छाड़ करके ऋण लेने के सबूत मिलने की संभावना जताई जा रही है।
इसी कड़ी में गत एक दिसंबर को जोनाई के उदयपुर निवासी मनोज कुम्बांग नामक एक युवक ने भारतीय स्टेट बैंक की जोनाई शाखा में अनियमितता के संदर्भ में जोनाई सदर थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है। उदाहरण के तौर पर जब से आप स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों के कांउटरो पर खड़े होकर पैसे निकासी के दौरान हस्ताक्षर नहीं मिलने पर बैंक कर्मी फोटो रहने के बावजूद भी बार बार हस्ताक्षर कराते हैं , मगर सरकारी ऋण के पैसे भुगतान करने में ये नियम क्यों नहीं अपनाते हैं। इसके पीछे क्या कारण हैं। इस रहस्य का पर्दा आने वाले दिनों में परत दर परत खुलने की संभावना है। इसमें बैंक मैनेजर , फिल्ड आफिसर और कैशियर की मिली भगत में इस तरह से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है।
पिछले 01/03/2021 को दिये गये शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया था कि भारतीय स्टेट बैंक की जोनाई शाखा के अधीन चालु वर्ष के फरवरी महीने तक जितने भी केसीसी ऋण दिये गये हैं, उनमें ज्यादातर फर्जी कागजात का उपयोग किया गया था। बैंक कर्मचारीयों की मिलिभगत से अज्ञात ऋण गिरोह ने वास्तविक किसानों को केसीसी ऋण से वंचित कर उन लोगो के नाम पर ऋण का आवंटन करवाया जिनके नाम पर एक ईंच भी जमीन नही हैं। जिस कारण प्रकृत किसान केसीसी ऋण से वंचित हो गये।
साथ ही इस शिकायत पत्र में कहा गया था कि भारतीय स्टेट बैंक की जोनाई शाखा में केसीसी ऋण आवंटन के लिये की गई अनियमितता भारतीय रिजर्व बैंक की दिशा-निर्देशों के साथ ही भारतीय स्टेट बैंक के नियमों का भी उलंघन किया गया हैं, जो एक अपराध भी हैं।
उल्लेखनीय हैं कि भारतीय स्टेट बैंक की उक्त शाखा की कर्मीयों की मिलीभगत से ऐसे लोगो को ऋण दिया गया हैं, जिसकी वसुली करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी हैं। साथ ही ऐसे व्यक्तीयों को भी केसीसी का ऋण दिया गया हैं। जिनके पास एक ईंच जमीन भी नही हैं।
दुसरी ओर इस संदर्भ में भारतीय स्टेट बैंक की जोनाई शाखा के प्रबंधक पंकज कुमार सिंह को शिकायत पत्र देने के दौरान आवेदनकर्ताओं ने अपील करते हुए कहा था कि चालु वर्ष के फरवरी माह तक केसीसी ऋण दिये गये लोगो का जमीन की कागजातो को कंप्युटर से संपादित कर अन्य लोगो के नाम पर केसीसी ऋण दिया गया हैं।जिनके जमीन के कागजों को जोनाई के चक्राधिकारी कार्यालय में भेज कर सत्यापन कराया जाये। मगर शाखा प्रबंधक श्रीसिंह ने यह करने से साफ मना कर दिया था। जिस कारण केसीसी ऋण के संदर्भ में हुई अनियमितता की अतिशीघ्र उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की गई थी । मगर शिकायत दर्ज कराने के नौ माह बाद भी भारतीय स्टेट बैंक के ईटानगर क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई की अंजाम नहीं दिया गया। जिससे लोगों के मन में चिंता सता रही है कि भारतीय स्टेट बैंक के नीचे से उपर तक कर्मचारियों के कमीशन और मिलीभगत में इस अपराध को अंजाम दिया गया है। स्थानीय लोगों ने जोनाई एसबीआई कि शाखा में भ्रष्टाचार का उच्च स्तरीय जांच कर दोषी कर्मचारियों को कड़ी से कड़ी सजा देने कि मांग कि गई है।
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