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अरुणाचल की भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी, सैन्य तैनाती बढ़ाई गई

ईटानगरः​ अरुणाचल प्रदेश के भारत-चीन सीमा पर बीच-बीच में हो रही चीन की गतिविधियों को देखते हुए भारत ने किसी से निपटने के लिए समग्र सैन्य तैयारियों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे है। इस के लिए एक व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में दूर से संचालित विमान और अन्य संपत्तियों के बेड़े […]

ईटानगरः​ अरुणाचल प्रदेश के भारत-चीन सीमा पर बीच-बीच में हो रही चीन की गतिविधियों को देखते हुए भारत ने किसी से निपटने के लिए समग्र सैन्य तैयारियों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे है। इस के लिए एक व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में दूर से संचालित विमान और अन्य संपत्तियों के बेड़े का उपयोग करते हुए अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने दिन और रात की निगरानी को महत्वपूर्ण रूप से क्रैंक किया है।  

पिछले साल गलवान घाटी में संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद भारत ने सामरिक लाभ हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के अलावा लगभग 3,400 किलोमीटर लंबी एलएसी के साथ अपनी समग्र तैनाती बढ़ा दी। ऊपर उद्धृत लोगों ने कहा कि इज़राइली निर्मित हेरॉन मध्यम-ऊंचाई वाले लंबे-धीरज ड्रोन का एक बड़ा बेड़ा पहाड़ी इलाकों में एलएसी पर चौबीसों घंटे निगरानी कर रहा है और कमांड और नियंत्रण केंद्रों को महत्वपूर्ण डेटा और चित्र भेज रहा है। ड्रोन के साथ-साथ भारतीय सेना की विमानन शाखा भी हथियार प्रणाली एकीकृत (WSI) संस्करण को तैनात कर रही है।

अरुणाचल क्षेत्र में अतिरिक्त सड़कों, पुलों और रेलवे के बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है। इस क्षेत्र में विकसित सुरक्षा गतिशीलता के मद्देनजर उनकी रणनीतिक आवश्यकता को देखते हुए बनाया जा रहा है। सरकार क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के निर्णय के तहत तवांग को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने पर भी काम कर रही है। ऊपर उद्धृत लोगों ने यह भी कहा कि उन्नत लैंडिंग ग्राउंड (ALG) सहित एलएसी के साथ लगभग सभी हवाई क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ाया गया था। 

हाल ही में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पिछले साल 5 मई को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हो गया था और दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी थी। इस-बीच पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में घातक झड़पों के बाद तनाव बढ़ गया था। सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने अगस्त में गोगरा क्षेत्र में और फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर विघटन प्रक्रिया को पूरा किया। 

जानकारी के अनुसार 10 अक्टूबर को अंतिम दौर की सैन्य वार्ता गतिरोध में समाप्त हो गई। 

उल्लेखनीय है कि भारत चीन सीमा के प्रत्येक पक्ष के पास वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी पर लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

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