लखीमपुरः कोच राजबंशी संग्राम समिति की केन्द्रीय समिति के उपाध्यक्ष रूप ज्योति दत्त के नेत्रित्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने आज जिला उपायुक्त से मुलाकात कर उनके जरिये असम के भूमिपुत्र कोच राजबंशी जनगोष्ठी को जनजाति का दर्जा देने और पृथक कमतापुर राज्य के पुनर्गठन की मांग कर मुख्य मंत्री को एक ज्ञापन प्रेषित किया। कोच राजबंशी संग्राम समिति की केन्द्रीय समिति के उपाध्यक्ष रूप ज्योति दत्त, लखीमपुर जिला कोच राजबंशी संग्राम समिति के भार प्राप्त सभापति विकाश दत्त और सचिव नितुल सैकिया द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन में कहा गया है कि 27 जनवरी 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव की सरकार ने अधिसूचना जारी की।
कोच राजबंशी जनगोष्ठी का जन जातिकरण कर बाद में तीन बार सरकार ने इसका नवीकरण तो किया पर अंत में कांग्रेस के नेत्रित्व की सरकार ने संसद में विधेयक प्रस्तुत नहीं कर कोच राजबंशी जनगोष्ठी के साथ विश्वासघात किया। सन 1997 में केन्द्रीय कोच राजबंशी को जनजाति की सूची में शामिल किया जा सकता है या नहीं इसका अध्ययन करने के लिए सरकार ने एक समिति गठित कर दी थी।
उक्त समिति ने 14 अगस्त 1997 को अपना प्रतिवेदन दिया जिसमे कहा गया था कि कोच राजबंशी में जनजातिकरण के लिए जरुरी सभी विशेषताएं हैं। प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी नीत एन डी ए सरकार के समय में कोच राजबंशी के जनजाति करण के लिए सारी औपचारिकतायें पूरी कर ली गई थी। किन्तु कैबिनेट में अनुमोदन नहीं होने के कारण सूचीबद्ध नहीं हो सका। बाद की सरकारें जनजातिकरण दिए जाने का कार्य कर सकतीं थी पर युपीए सरकार ने विषय को महत्त्व ही नहीं दिया। कांग्रेस की तरह भाजपा सरकार ने भी 2014 के चुनाव के समय अपने चुनावी घोषणा पत्र में कोच राजबंशी जनगोष्ठी को जनजाति की मर्यादा प्रदान करने का वादा किया था पर सत्ता प्राप्ति के बाद अपने वायदे को भूल गई।
2016 के असम विधानसभा चुनाव के समय भी भाजपा और उसके सहयोगी दलों ले जनगोष्ठी का जनजातिकरण किये जाने का आश्वासन दिया था पर ऐसा न कर सरकार ने एक कमिटी का ही गठन किया। केंद्र सरकार को प्रतिवेदन न भेज कर वोट बैंक सुरक्षित रखने के उद्देश्य से 2021 के विधानसभा चुनाव के पूर्व तीन जिलों को लेकर कोच राजबंशी के लिए अंतरवर्ती कालीन कमतापुर स्वायत्तशासित परिषद् और कुछ जिलों के सदस्यों को लेकर कोच राजबंशी उन्नयन परिषद् का गठन कर जनजातिकरण के मुद्दे को ठंढे बस्ते में डाल इसे अनिश्चित समय के लिए दाल दिया गया जो उद्वेगजनक है।
असम को अवैध बांग्लादेशियों के चंगुल से बचाने के लिए, अवैध नागरिकों को राजनितिक रूप से ख़त्म करने के लिए और सार्वभौमिकता की रक्षा के लिए कोच राजबंशी जनगोष्ठी का शीघ्र जनजातिकरण कर पृथक कामतापुर राज्य के गठन की मांग करते हुए ज्ञापन में कहा गया हैं कि उनकी मांगों को नजरंदाज किये जाने की स्थिति में कोच राजबंशी संग्राम समिति आन्दोलन का रास्ता अपनाने को विवश हो जायेगा।
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